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  • Writer's pictureKishori Raman

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती पर विशेष।

Updated: Dec 24, 2021


आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्मदिन है। दिल्ली के किसान घाट पर फूल चढ़ाने की रस्म-अदायगी के अलावा सब कुछ शान्त है.... एकदम खामोश। मानो इतिहास उस युगपुरुष को वर्तमान संदर्भ में अप्रासंगिक मानता है जिसने जीवन भर खेत- खलिहान, किसान-मजदूर और ग्रामीण भारत की लड़ाई शिद्दत के साथ लड़ी। देश के दो-तिहाई आबादी की रोजी-रोटी एवं बेहतरी के लिए कई कानून बनाने वाले और उसे लागू करवाने वाले शख्स के योगदान को इतिहास चाह कर भी नजरअंदाज नहीं कर सकता है। क्योंकि उनका नाम इतिहास के पन्नों में ही केवल दर्ज नहीं है जिसे फाड़ कर हम कहीं फेंक दें, बल्कि वे तो जन-जन के हृदय में विराजमान हैं। आज वे सब लोग पूरी कृतज्ञता से और पूरी ईमानदारी से उस युगपुरुष के योगदान को याद कर रहे हैं । चौधरी चरण सिंह का नाम आते ही गाँव और खेत से जुड़ा एक सीधे सादे, सादगी से भरे एक व्यक्ति का चेहरा मन में उभरता है जिसने हमेशा ही ग्रामीण भारत की वकालत की। हाँ, शायद यह कम ही लोगों को मालूम होगा कि वे न सिर्फ सफल वकील और महान स्वतंत्रता सेनानी थे बल्कि महान विद्वान और लेखक भी थे। उन्होंने दर्जनों पुस्तकें लिखी। उनकी लिखी एक किताब इकोनॉमिक नाइटमेयर ऑफ इंडिया इट्स कॉज़ेज़ एन्ड क्योर(1981) न सिर्फ देश-विदेश में चर्चित रही है बल्कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र के पाठ्यक्रम में भी यह पुस्तक शामिल है। यह गौरव किसी अन्य राजनेता को आज तक नहीं मिला है। आचार्य नरेंद्र देव और राम मनोहर लोहिया जिस समाजवादी राजनीति के जनक और दार्शनिक थे, उनके विचारों को हकीकत बनाने में और उसे खेत खलिहान और आम जनता तक पहुचाने में चौधरी चरण सिंह ने अद्भुत काम किया था। चौधरी चरण सिंह 1937 से ही, जब वे अंतरिम सरकार में शामिल हुए तो खेती और किसानों के हित में कानून बनवाने के प्रयास में लग गए। मंत्री बनते ही समस्त भारत में सबसे क्रांतिकारी भूमि सुधार कानून बनवाने में उन्होंने सफलता हासिल की थी। वह अपने संघर्ष के दम पर मुख्यमंत्री और फिर प्रधानमंत्री के पद तक पहुँचे। 1952 में राजस्व व कृषि मंत्री रहते हुए उन्होंने कानून के जरिए खेतिहरों को भूमि पर मालिकाना हक दिलाया। 1953 में कृषि जोत चकबंदी अधिनियम पारित कराया। मिट्टी के वैज्ञानिक परीक्षण की योजना भी उन्होंने ही शुरू कराई थी। यू पी भूमि हदबंदी कानून भी उनकी ही देन है। वे केवल सत्ता के पीछे भागने वाले राजनीतिज्ञ नहीं थे। चौधरी चरण सिंह के लिए सत्ता लक्ष्य नहीं व्यापक जन सेवा का माध्यम रहा। एक सख्त और ईमानदार प्रशासक के रूप में भी उनकी छवि बनी। वे कामचोर व भ्रष्ट अधिकारियों के लिए एक दुःस्वप्न की तरह थे। 1970 में यूपी का मुख्यमंत्री बनते ही चौधरी साहब ने कृषि उत्पादन बढ़ाने की नीतियों को प्रोत्साहित करने का काम शुरू किया। इसके लिए उर्वरकों से बिक्री कर हटा दिया। 3•5 एकड़ तक के जोतो का लगान माफ कर दिया। हरित क्रांति की सफलता के पीछे इस महान नेता की सोंच और योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। उनका ये भी मानना था कि ऐसे उद्योग धंधे विकसित होने चाहिए जिनसे श्रम की माँग ज्यादा हो और जिससे अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिल सके। चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को यूपी के हापुड़ के पास एक गाँव नूरपुर में हुआ था। उन्होंने जुलाई 1979 से जनवरी 1980 तक देश के प्रधानमंत्री के तौर पर कार्य किया। इस दौरान किसानों के उत्थान और विकास के लिए अनेक प्रभावकारी नीतियां बनाई जिसका लाभ किसानों को मिला और इसीलिए उनकी जयंती को किसान दिवस के रूप में मनाते हैं। उनकी मृत्यु 29 मई 1987 में हुई। आइए हम किसानों के मसीहा और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बताए रास्ते पर चलें और उनके सपनों का भारत बनाएं। आज उनके जन्मदिवस पर उनको भावभीनी श्रद्धांजलि एवं शत-शत नमन। किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com




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