आज मैं अपनी दो लघु कविताएँ प्रस्तुत कर रहा हूँ, जिसका एक ही शीर्षक है..... प्यार।
कुछ लोगो के लिए प्यार ही सब कुछ होता है तो कुछ लोगो के लिए प्यार कुछ भी नही होता।
मेरी प्रस्तुत कविताएँ प्यार को इन्ही दो अलग अलग ढंग से समझने का प्रयास है।

प्यार
प्यार एक कोट है
ठण्ड से बचने के लिए
लोग इसे पहनते हैं
या फिर प्यार
सिर्फ कहने सुनने की चीज है।
हम लोग
समय बिताने के लिए
यूँ ही कहते हैं
यूँ ही सुनते हैं।

प्यार प्यार बाँसुरी की सुरीली धुन है प्यार कबीर का गाया निर्गुण है प्यार तो मीरा की पुकार है प्यार राधा की मनुहार है प्यार प्रकृति की मुस्कुराहट है प्यार रिश्तों की गरमाहट है प्यार हवाओँ का झोंका है प्यार शीतल जल का सोता है प्यार आशिकों की शरारत है प्यार उनके आने की आहट है प्यार एक रूहानी चाहत है प्यार खुदा की इबादत है प्यार ही अपनी बन्दगी है प्यार ही अपनी जिन्दगी है किशोरी रमण। If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments.
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very nice....
वाह, बहुत सुदर प्यार की परिभाषा ।
लिखते रहें ।