ये दुनिया तो सिर्फ आना जाना है
नही किसी का स्थायी ठिकाना है
जीलो अपनी जिन्दगी को जी भर
यहाँ प्यार ही जीने का बहाना है
आज भला कैसे कहेंगे कि हम
पढ़ लिख कर समझदार बने हैं
कल तक जो घर एक था हमारा
उसी के आँगन में दीवार बने हैं
जब सभी खुदा के बंदे हैं तो
जाति धर्म का भेद क्यो है
जब सभी यहाँ है भाई भाई
फिर आपस मे मतभेद क्यो है
अब छोड़ो भी ये गिले-शिकवे
हम आज गले मिल जाते है
जो जख्म दिए हैं अपनो ने
वहाँ प्यार का मरहम लगाते हैं
किशोरी रमण
BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE
If you enjoyed this post, please like , follow, share and comments.
Please follow the blog on social media. link are on contact us page.
www.merirachnaye.com
top of page
मेरी रचनाएँ
Search
Recent Posts
See All4 comentarios
Post: Blog2_Post
bottom of page
अच्छी कविता ! प्यार पर ही दुनिया टिकी है।फिर भी इसकी कमी होती जा रही है।
Very nice...
बहुत सुंदर कविता ।
Very nice.....