# प्यार का मरहम #
- Kishori Raman
- Dec 29, 2021
- 1 min read

ये दुनिया तो सिर्फ आना जाना है
नही किसी का स्थायी ठिकाना है
जीलो अपनी जिन्दगी को जी भर
यहाँ प्यार ही जीने का बहाना है
आज भला कैसे कहेंगे कि हम
पढ़ लिख कर समझदार बने हैं
कल तक जो घर एक था हमारा
उसी के आँगन में दीवार बने हैं
जब सभी खुदा के बंदे हैं तो
जाति धर्म का भेद क्यो है
जब सभी यहाँ है भाई भाई
फिर आपस मे मतभेद क्यो है
अब छोड़ो भी ये गिले-शिकवे
हम आज गले मिल जाते है
जो जख्म दिए हैं अपनो ने
वहाँ प्यार का मरहम लगाते हैं
किशोरी रमण
BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE
If you enjoyed this post, please like , follow, share and comments.
Please follow the blog on social media. link are on contact us page.
www.merirachnaye.com
अच्छी कविता ! प्यार पर ही दुनिया टिकी है।फिर भी इसकी कमी होती जा रही है।
Very nice...
बहुत सुंदर कविता ।
Very nice.....