प्रकाश-पर्व दीपावली के स्वागत के लिए हम तैयार हैं। अपने घरों,दुकानों, बाग-बगीचों की हमने साफ सफ़ाई पूरी कर ली है। हम सबका यही सपना होता है कि हमारे घर, दुकान सबसे साफ हो, हमारे सजावट सबसे सुंदर हो। पर्व त्योहार का उल्लास तो रहता ही है पर साथ मे हम सबमें अपने सामर्थ्य एवं क्षमता के प्रदर्शन की इच्छा भी रहती है।
चारो ओर के प्रकाश, सूंदर सजावटें हमें खुशी और आत्म-संतोष देते हैं, पर यह क्षणिक होता है। ज्यों ही दीपक बुझता है , रात ढलती है और सुबह होता है, सब कुछ पहले की तरह ही हो जाता है --यथार्थ और कुरूप। और तब हमारा सामना होता है अपने अंदर के अंधेरे से।
बाहर का अंधेरा तो हमे दिखाई पड़ता है और जिसकी हम सफाई भी कर लेते है। पर हमारे अंदर का अंधेरा हमें दिखाई नहीं पड़ता है। बाहरी अंधकार को हम दीपक जलाकर दूर कर लेते हैं लेकिन मन के अंदर जो अंधेरा है उसका क्या करें ? मन का अंधेरा हमें ना सिर्फ घोर दुख देता है बल्कि हमारे आसपास रहने वालों को भी प्रभावित करता है। मन के अंधेरे के कई रूप हैं- द्वेष, लोभ, काम-वासना। ये सब मन के अंधेरों की उपज है। दिक्कत तो यह है कि यह हमारे मन में रहते हैं पर हमें दिखाई नहीं देते है।
पटाखों के अंधाधुंध प्रयोग और मिट्टी के दीपक के बदले रासायनिक पदार्थों से बने दीपक एवं अन्य सजावटी सामान हमारे वातावरण को दूषित करते हैं और प्रदूषण फैलाते हैं। सांस की बीमारी वाले, ह्रृदय रोग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए कष्ट के कारण बनते हैं। पटाखों की तेज आवाज निरीह जानवरों को भी आतंकित कर देती है। पटाखा छुड़ाने के दौरान कई छोटे बच्चे घायल भी हो जाते हैं और कई घरों में आग भी लग जाती है। अंत में मेरा आपसबों से निवेदन है कि ----
मिट्टी के दिए ही जलाए तथा सजावट में इस बात का ध्यान रखें कि उनसे प्रदूषण कम से कम हो।
तेज आवाज वाले पटाखों को छोड़ने से खुद भी बचे और बच्चों को भी इससे दूर रखें।
हम सब इस त्यौहार के पीछे छुपे आध्यात्मिक अर्थ को समझें। हम बाहर की सफाई के साथ-साथ अपने अंदर से क्रोध, मान,माया और लोभ जैसे कचरे को ज्ञान रूपी झाड़ू से साफ कर दें। फिर ज्ञान का दीपक जलाकर चारों ओर प्रकाश फैलायें और प्रकाश पर्व की सार्थकता को सार्थक करे।
जुआ खेलने जैसी कुरीति से खुद को और अपने परिवार को बचायें।
केवल अपने घर को रौशन करने की ना सोचे बल्कि अपने आसपास उन घरों में भी रोशनी फैलाएं एवं खुशियां बांटे जहां गरीबी और बेकारी के कारण लोग पर्व मनाने में असमर्थ हैं। अगर आप किसी और का भी घर रौशन करते हैं,उसमें रहने वाले व्यक्तियों के चेहरे पर मुस्कान लाते हैं तो सच मानिए आपकी दीपावली सार्थक हो जाएगी।
किशोरी रमण
BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE
If you enjoyed this post, please like , follow, share and comments.
Please follow the blog on social media. link are on contact us page.
www.merirachnaye.com
top of page
मेरी रचनाएँ
Search
Recent Posts
See All3 Comments
Post: Blog2_Post
bottom of page
दीपों के प्रकाश को सिर्फ बाहर ही नहीं मन के अन्दर तक फैलाना ही दीपावली का मूल मंत्र होना चाहिए। शुभ दीपावली!
:-- मोहन"मधुर"
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
Wish you happy Diwali...... very nice....