हम सभी के अंदर कोई न कोई कमी होती है क्योंकि कोई भी ब्यक्ति पूर्ण नही होता है। बुद्धिमान लोग इन कमियों में भी कुछ अनोखापन ढूंढ लेते है तथा उनका इस तरह से उपयोग करते है कि यह कमी भी बरदान बन जाती है। अतः हमें जो जैसा है उसे वैसा ही स्वीकार करने की आदत डालनी चाहिए। इस सम्बंध में एक समझदार किसान की कहानी प्रस्तुत है।
बहुत समय पहले की बात है। एक गाँव मे एक किसान रहता था। चुकि गाँव मे पानी की किल्लत थी इस लिए वह सुबह उठकर स्वच्छ पानी लाने के लिए गाँव से दूर झरनों के पास जाया करता था। पानी लाने के लिए दो बड़े घड़े वह अपने साथ ले जाता था। उन दोनों घडो को एक बड़े से डंडे के दोनों छोरो पर बांध कर डंडे को अपने कंधे पर लटका लेता था। उसमें से एक घड़ा कहीं से फूटा हुआ था और दूसरा एकदम सही था । किसान के घर पहुँचते पहुँचते डेढ़ घड़ा पानी ही पहुँचता था। ऐसा दो सालों से चल रहा था। सही घड़े को इस बात का घमण्ड था कि वह पूरा का पूरा पानी घर पहुचाता है और उसमें कोई कमी नही है। फूटा घड़ा इस बात के लिए शर्मिन्दा रहता था कि वह आधा घड़ा पानी ही पहुंचा पाता है और उसकी कमी के कारण किसान की मेहनत बेकार चली जाती है।
एक दिन फूटे घड़े ने दुखी होकर किसान से क्षमा माँगते हुए कहा कि वह इस बात के लिए शर्मिन्दा है कि उसके कारण किसान की मेहनत बेकार चली जाती है। इस पर किसान बोला, तुम ऐसा क्यों सोचते हो ?
घड़ा बोला, शायद आपको पता नहीं कि मैं एक जगह से फूटा हुआ हूँ। इसी कारण से पिछले दो सालों से मुझे जितना पानी घर पहुँचाना चाहिए था,उसका आधा ही पहुँचा पाता हूँ। मेरे अन्दर की इस कमी की वजह से आपकी मेहनत बर्बाद होती रहती है।
किसान को घड़े की बात सुनकर दुख हुआ और वह बोला, कोई बात नही, मैं चाहता हूँ कि आज लौटते वक्त तुम रास्ते मे पड़ने वाले सूंदर फूलों को देखो। घड़े ने वैसा ही किया। वह रास्ते भर सूंदर फूलों को देखता आया। सूंदर फूलों को देखने से उसकी उदासी कुछ दूर हुई। पर घर पहुँच कर जब उसने देखा कि उसका आधा पानी गिर चुका है तो वह फिर उदास हो गया। किसान ने कहा - शायद तुमने ध्यान नही दिया, रास्ते मे जितने भी फूल थे वे सब तुम्हारे ही तरफ थे। सही घड़े की तरफ एक भी फूल नही था ऐसा इसलिए कि मैं हमेशा से तुम्हारी कमी को जनता था और इसका लाभ उठाया। मैंने तुम्हारे वाले रास्ते पर रंग बिरंगे फूलों के बीज बो दिये थे। तुम रोज थोड़ा थोड़ा कर के उन्हें सींचते रहे और पूरे रास्ते को इतना खूबसूरत बना दिया। आज तुम्हारी वजह से ही मैं इन फूलों को भगवान को अर्पित कर पाता हूँ और अपना घर सूंदर बना पाता हूँ।
अब तुम्ही सोचों , अगर तुम जैसे हो वैसे नही होते तो भला क्या मैं यह सब कर पाता ?
किशोरी रमण
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Very nice story...