
भगवान बुद्ध एक बार एक बन से गुजर रहे थे। रास्ते में एक व्यक्ति जमीन खोद रहा था। भगवान बुद्ध विश्राम हेतु एक वृक्ष के नीचे बैठ गए। उस व्यक्ति को जमीन खोदतेल-खोदते एक कलश मिला। कलश में हीरे और जवाहरात भरे हुए थे। अपार धन दौलत देखकर वह आदमी काफी खुश हुआ। उसने सोचा, भगवान बुद्ध की कृपा के कारण ही मुझे यह धन से भरा कलश मिला है। उसने कलश को भगवान बुद्ध के सामने रखा और कहा। आपके आशीर्वाद से हमें यह आकूत दौलत प्राप्त हुआ है। मैं इनमें से कुछ रत्न आपको भेंट करना चाहता हूँ। बुद्ध ने कहा- तुम्हारे लिए यह दौलत है, लेकिन मेरे लिए यह विष के समान है। बिना परिश्रम के मिला धन बिष होता है। वह व्यक्ति नाराज होकर कलश लेकर चला गया।
उस व्यक्ति ने कलश में मिले सारे हीरे जवाहरात को बेचकर संपत्ति खरीदी। अब वह एक धनवान ब्यक्ति बन गया।उसके पास नौकर चाकर और बहुत सारी सुख- सुविधाए हो गई। समाज में उसकी इज्जत बढ़ गई। उसके ईर्ष्यालु पड़ोसी को उसकी यह सम्पन्नता देखी नहीं गई। उस ईर्ष्यालु पड़ोसी ने राजा से उसकी शिकायत कर दी। जमीन में दबा धन राजकोष का होता है। उस व्यक्ति ने जमीन से मिले धन को अपने निजी काम में ला कर राज्य का नियम भंग किया है।
राजा ने अपने सैनिकों को भेजकर उस व्यक्ति को अपने राज दरबार में बुलाया और उससे कलश में प्राप्त सारे धन को राजकोष में जमा कराने को कहा। जब उस व्यक्ति ने कहा कि उसने सारे हीरे जवाहरात बेचकर संपत्ति खरीद ली है तो राजा गुस्सा हो गया। उसने उसे और उसके परिवार वालों को जेल में डाल दिया। उसकी संपत्ति जप्त कर ली। एक दिन राजा जेल के निरीक्षण के लिए गया तो उस व्यक्ति से भी मिला। उस व्यक्ति ने कहा- राजन, मुझे जब वह कलश जमीन से मिला था तो बुद्ध वही थे। उन्होंने मुझसे कहा था कि इसमें रत्न नहीं, बिष भरा है। यह सुनकर मैंने उनका अपमान किया था। आज जेल में रहकर मुझे अनुभूति हो रही है कि उनकी बात बिल्कुल सच थी। बिना परिश्रम किए मिला धन बिष ही होता है। मैं एक बार भगवान बुद्ध के दर्शन कर उसे क्षमा मांगना चाहता हूँ।
यह सुनकर उस राजा ने बुद्ध को ससम्मान अपने राज्य में आमंत्रित किया। जेल से निकालकर उस व्यक्ति को बुद्ध के पास ले जाया गया। उसने उनके चरणों में बैठकर क्षमा मांगी और कहा, आपकी बात सत्य थी। कलश में बिष था, जिसने मुझे जेल भिजवा दिया। बुद्ध के आदेश से राजा ने उस व्यक्ति को जेल से रिहा कर दिया। वह व्यक्ति कालांतर में भगवान बुद्ध का शिष्य बन कर अपनी जिंदगी शांति से गुजारने लगा।
किशोरी रमण
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Very nice....
बहुत अच्छी और शिक्षाप्रद कहानी।