एक समय की बात है कि एक गाँव में एक गरीब आदमी रहता था , जो लोगों से मांग कर खाना खाता था। उसने एक दिन ध्यान दिया कि उसका खाना हर दिन गायब हो जाता है। एक दिन उसने एक चूहे को पकड़ा जो उसका खाना चुरा कर खा जाता था। उसने चूहे से पूछा कि मैं तो गरीब आदमी हूं और मांग कर खाता हूं, फिर तुम मेरा ही खाना क्यों चुराते हो ? अगर तुम्हें चुराना ही है तो अमीरों का खाना चुराओ,उन्हें पता भी नहीं चलेगा। इस पर चूहा बोला कि यह मेरे भाग्य में है कि मैं तुम्हारा खाना हीं चुराऊं । वैसे ही तुम्हारे भाग्य में है कि तुम जितना भी भोजन इकट्ठा कर लो पर तुम्हारा खाना इसी तरह गायब होगा और तुम्हें मांग कर ही खाना पड़ेगा। इस पर गरीब आदमी ने पूछा कि मेरी किस्मत ऐसी क्यों है ? चूहा बोला मुझे नहीं मालूम। इसका जवाब तो बुद्ध ही दे सकते हैं। आखिर बहुत सोचने के बाद उस गरीब आदमी ने बुद्ध से मिलने का निश्चय किया ताकि उनसे ही अपने प्रश्न का उत्तर पूछ सके कि उसके किस्मत में मांग कर ही खाना क्यो लिखा है ? एक दिन वह बुद्ध से मिलने चल पड़ा। दिन भर वह चलता रहा। शाम हो गई और वह थक कर चूर हो चुका था। रात्रि विश्राम के लिये वह जगह तलाश रहा था तभी उसे एक घर दिखाई पड़ा। उसने दरवाज़ा खटखटाया। एक किसान ने दरवाजा खोला और गरीब आदमी की तरफ प्रश्न भरी नजरों से देखा। गरीब आदमी ने कहा- मैं एक मुशाफिर हूँ और रात बिताने के लिए जगह चाहिए। किसान ने उसे घर के अन्दर आने को कहा और उसकी अच्छी खातिरदारी की। रात को खाना खाते समय किसान ने गरीब आदमी से पूछा कि वह कहाँ जा रहा है ? गरीब आदमी ने कहा कि वह बुद्ध से मिलने जा रहा है औऱ उसके पास बुद्ध से पूछने के लिये एक सवाल हैं। किसान ने कहा, क्या वह बुद्ध से उसके लिये भी एक सवाल पूछ सकता है? गरीब आदमी ने कहा, हाँ... हाँ, क्यो नही ? फिर पूछा कि आपका सवाल क्या है ? इस पर किसान बोला, मेरी एक अठारह साल की बेटी है जिसने अभी बोलना शुरू नही किया है। तुम बुद्ध से पूछना कि वह कब बोलना शुरू करेगी? गरीब आदमी आगे बढ़ा। चलते चलते वह पहाड़ों के बीच आ गया। आगे जाने के लिए उसे रास्ता नजर नहीं आ रहा था। वह चिंतित हो खड़ा था कि उसके पास एक जादूगर आया जिसके एक हाथ में जादू की छड़ी थी। जब गरीब आदमी ने पहाड़ों के उस पार जाने का रास्ता पूछा तो उसने अपने जादू से एक झाड़ू बनाया। फिर उस झाड़ू पर पहले खुद सवार हुआ और फिर पीछे उस गरीब आदमी को बैठा लिया। जादू से वह झाड़ू उड़ने लगा और उड़ते हुए पहाड़ों को पार करने लगा। उस जादूगर ने गरीब आदमी से पूछा कि वह कहां जा रहा है ? इस पर उस गरीब आदमी ने बताया कि वह बुद्ध से मिलने जा रहा और उनसे पूछने के लिए उसके पास एक सवाल है। पहाड़ो के पार पहुँच कर जब गरीब आदमी वहाँ से चलने को हुआ तो उस जादूगर ने गरीब आदमी से पूछा कि क्या वह उसके लिए भी एक सवाल बुद्ध से पूछ सकता है ? जब गरीब आदमी ने कहा - हाँ , तो उसने अपना सवाल बताया। वह पिछले पाँच सौ सालों से स्वर्ग जाने का इंतजार कर रहा है , और वह कब स्वर्ग जा सकेगा ? इसके बाद गरीब आदमी आगे बढ़ा। कुछ दूर जाने पर उसे एक बहुत बड़ी नदी मिली। वह सोचने लगा कि नदी को कैसे पार किया जाए तभी किनारे पर एक बहुत बड़ा कछुआ आया | उसने उस गरीब आदमी को नदी पार कराने का वादा किया। वह बोला, मेरे पीठ पर बैठ जाओ। गरीब आदमी उसकी पीठ पर बैठ गया और वह कछुआ पानी में तैरने लगा। जब कछुआ नदी के दूसरी और पहुंच गया तो आदमी से पूछा, तुम कहां जा रहे हो ? गरीब आदमी ने बताया कि वह बुद्ध से मिलने जा रहा है। बुद्ध से पूछने के लिए कुछ सवाल है। उस कछुए ने पूछा, क्या तुम मेरे लिए भी बुद्ध से सवाल पूछ सकते हो ? गरीब आदमी ने बोला हां -हां,क्यों नहीं ? क्या है तुम्हारा सवाल ? इस पर कछुआ बोला, मैं पिछले एक हजार सालों से ड्रैगन बनने का इंतजार कर रहा हूं पर अभी तक नहीं बन पाया। मैं कब ड्रैगन बन पाऊंगा ?
अब गरीब आदमी आगे बढ़ा। चलते चलते वह उस जगह पहुंचा जहां बुद्ध अपने शिष्यों को उपदेश दे रहे थे। वह बुद्ध के चरणों में गिर गया और बोला, हे बुद्ध मैं आपसे कुछ सवाल पूछना चाहता हूँ। बुद्ध ने कहा पूछो,पर केवल 3 सवाल ही पूछ सकते हो। इस पर वह गरीब आदमी ने कहा - मेरे पास तो 4 सवाल है। लेकिन बुद्ध ने कोई जबाब नही दिया और ध्यान मग्न हो गये। गरीब आदमी सोच में पड़ गया कि किसके सवाल को छोड़ें ? अंत मे बहुत सोच-विचार के बाद उसने यह निश्चय किया कि जिन्होंने उस पर अहसान किया है उनके सवाल वह जरुर पूछेगा, भले ही इसके बदले उसको अपना सवाल छोड़ना पड़े। और उसने भगवान बुद्ध से कछुआ के बारे में पूछा। भगवान बुद्ध ने जवाब दिया कि वह कछुआ जब तक अपने खोल से बाहर नहीं निकालेगा तब तक वह ड्रैगन नहीं बन पाएगा। अब उस आदमी ने जादूगर का सवाल पूछा।भगवान बुद्ध ने कहा कि जब तक वो जादूगर अपनी छड़ी को अपने हाथों से अलग नहीं करेगा तब तक को स्वर्ग नहीं जा पाएगा। और अंत में उस गरीब आदमी ने उस किसान की बेटी के बारे में पूछा कि वह कब बोलना शुरू करेगी। भगवान बुद्ध ने कहा कि जब वह अपने जीवनसाथी से मिलेगी तो वो बोलना शुरू कर देगी। इतना कह कर बुद्ध चुप हो गये ।
गरीब आदमी वापस चल पड़ा। सबसे पहले वह नदी किनारे आया जहाँ कछुआ उसका इंतजार कर रहा था। कछुआ ने उसे अपनी पीठ पर बैठाकर नदी पार कराया।और तब गरीब आदमी ने बुद्ध का जवाब उसे सुनाया कि जब तक वह अपने खोल को अपने शरीर से अलग नहीं करेगा तब तक वह ड्रैगन नहीं बन पायेगा। इतना सुनते ही उस कछुए ने अपने खोल को अपने शरीर से अलग किया और ड्रैगन बन कर उड़ गया। उसके द्वारा छोड़े गए खोल में बहुत सारे मोती थे जिसे उस गरीब आदमी ने उठा लिया। कुछ दूर चलने के बाद पहाड़ियों के पास जादूगर मिला। जादूगर ने उसे अपने झाड़ू पर बैठा कर उसे पहाड़ियों से पार करा दिया। अब उस गरीब आदमी ने उस जादूगर से कहा कि भगवान बुद्ध ने बताया है कि जब तक तुम अपने जादू की छड़ी को अपने हाँथो से अलग नहीं करोगे तब तक तुम स्वर्ग नहीं जा पाओगे। जादूगर ने अपनी छड़ी को उस गरीब आदमी को दिया और खुद स्वर्ग के लिए प्रस्थान कर गया। अब वह गरीब आदमी उस किसान के पास आया।उसने किसान को बताया कि भगवान बुद्ध ने कहा है कि आपकी लड़की जब अपने जीवनसाथी को देखेगी तो बोलना शुरू कर देगी। तभी किसान की लड़की वहां आई और गरीब आदमी को देखकर अपनी मां से पूछा, मां क्या यह वही आदमी है जो कुछ दिन पहले हमारे यहां आया था ? उसके माता पिता यह समझ गए कि यही आदमी इसका जीवन साथी है। उन्होंने अपनी बेटी की विवाह उस गरीब आदमी से कर दिया। अब वह गरीब नही रहा। अब उसके पास धन था,जादू की छड़ी थी और सुंदर जीवनसंगिनी भी थी । उस गरीब आदमी ने अपने दुख दूर करने के बारे में बुद्ध से सवाल नही पूछा बल्कि दूसरो के तकलीफ के बारे में सोचा । इस कारण उसका भला खुद-ब-खुद हो गया ।अतः इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है कि आप दूसरों की भलाई करे। भगवान आपका भी भला करेगें।
किशोरी रमण
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Very nice....
बहुत सुंदर और शिक्षाप्रद कहानी।