आज हममें से ज्यादातर लोग अपने को सही साबित करने और दूसरों को गलत बताने में व्यस्त हैं। आज बहुत कम लोग हैं जो जातिय, धार्मिक और भाषाई कट्टरता से ऊपर उठकर निर्विकार भाव से घटनाओं और परिस्थितियों का सही विवेचन कर अपनी राय कायम करते है।
अधिकाँश लोग तो दूसरों के द्वारा एक खास मकसद से चलाए जा रहे प्रोपेगेंडा के शिकार हो अपनी राय बनाते हैं, और उसी को सही साबित करने के लिए प्रोपेगेंडा का हिस्सा बन भोपू की भूमिका निभाते हैं
कुछ लोग जरूर इस साजिश को समझते हैं और उनसे दूर रहने का प्रयास करते हैं पर वे भी खुले रूप से इस झूठे प्रोपेगेंडा का विरोध नहीं कर पाते। जनता के बीच जाकर उन्हें असली बात बताने और साजिशों को नाकाम करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। बस बंद कमरों में या बुद्धिजीवियों के सेमिनार और टीवी डिबेट में अपनी बात रख कर अपनी जिम्मेदारियों से बचते हैं एवं अपने कर्तव्यों की इतिश्री मान लेते हैं।
आखिर क्या बात है कि झूठ बोलने वाले लोग सीना ठोक कर और चिल्ला चिल्ला कर झूठ फैलाते हैं जबकि सच बोलने वाले डर कर चुप ही रहना उचित समझते हैं। इसका जवाब तो यही हो सकता है कि आज शासन, प्रशासन, व्यवस्था और समाज का एक बड़ा वर्ग पूर्वाग्रहों से ग्रस्त हो झूठ को नया रूप एवं नई स्वीकार्यता दिलाने में व्यस्त है। यही कारण है कि "सत्यमेव जयते" पर से जनमानस का विश्वास उठता जा रहा है।
आज हम सबों में बस दूसरों में बुराई ढूँढने की आदत सी पड़ गई है। हम अपने श्रेष्ठ होने के दम्भ में इतने मतवाले हो रहे हैं कि हमें अपनी कमियाँ नजर ही नहीं आती। इसका खतरनाक असर हमारे समाज और नई पीढ़ी पर पड़ रहा है। आज युवा पीढ़ी के दिलों-दिमाग पर दूसरे धर्मों और जातियों के लिए अविश्वास,नफरत और हिंसा हॉबी होता जा रहा है। यहाँ हर आदमी अपने विचारों एवं आस्थाओं को दूसरे पर थोपना चाह रहा है। हर शख्स को दूसरे की बातें एवं विचार अनुचित लगने लगा है। यही कारण है कि सदियों से चला आ रहा आपसी भाईचारा और गंगा-जमुनी तहजीब की साझी विरासत आज खत्म होने के कगार पर है।
और अंत में मैं यही कहूँगा कि कमियों को जरूर ढूँढो पर दूसरों में नहीं बल्कि अपने आप में।
कबीरदास जी के इस दोहे के मर्म को आज समझने की जरूरत है जिसमे वे कहते हैं कि...
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय
किशोरी रमण
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Very very nice.....
यह कटु सत्य है।
इसके खिलाफ हम सबों को आवाज़ उठाना चाहिए।