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  • Writer's pictureKishori Raman

"बूढ़े बाबा पुलिस थाना क्यो गये"


आज 23 दिसम्बर है, भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी की जयन्ती। इस अवसर पर उन्हें -- नमन एवं श्रद्धांजलि। उनके जन्म दिन को हम किसान दिवस के रूप में भी मनाते है। इस अवसर पर हम अपने किसान अन्नदाताओं के प्रति आभार ब्यक्त करते है। एक बेहद ही गरीब परिवार से निकल कर सत्ता के शिखर तक पहुँचने वाले चौधरी चरण सिंह ने आजाद भारत मे किसानों की दिशा और दशा को काफी हद तक बदल दिया। अगर देश मे किसानों को चरण सिंह जैसा नेता न मिला होता तो आज उनकी हालत और भी दयनीय होती। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारतीयता और ग्रामीण परिवेश की मर्यादा में जीया। उनके आदर्शों, विचारों, सादगी और ईमानदारी के बारे में आप सबों को बहुत कुछ मालूम है। आज उनसे संबंधित एक घटना का ज़िक्र करना चाहूँगा। कहानी फिल्मों की तरह मजेदार है और ये उत्तर प्रदेश के इटावा और अभी के औरैया जिले की है। घटना साल 1979 की है। शाम के करीब 6 बज रहे थे। मैली धोती कुर्ता पहने और सिर पर पगड़ी डाले एक बूढ़ा किसान परेशान हालत में "ऊसराहार"पुलिस थाने पहुँचा। हेड कॉन्स्टेबल पूछता है- क्या काम है ? इसपर किसान कहता है - दरोगा जी, मेरी जेब किसी चोर-उचक्के ने मार ली है। उसी की फरियाद लेकर थाने आया हूँ। मेरी रपट लिख लो। किसान ने आगे बताया कि मैं मेरठ का रहने वाला हूँ। यहाँ पास के इटावा में रिश्तेदारी में आया हूँ। बैल खरीद कर ले जाने के लिए पैसे लेकर अपने गाँव से यहाँ आया था। रास्ते मे किसी ने मेरी जेब मार ली। जेब मे कई सौ रुपये थे। मैं बहुत मुसीबत में हूँ। मेरी रपट लिखो और चोर को पकड़ो। अब कुर्सी पर चौड़े होकर बैठे हेड कॉन्स्टेबल ने किसान से ऐसे ऐसे सवाल पूछने शुरू किया मानो किसान झूठ बोल रहा हो और उसने सोंच लिया हो कि किसी भी सूरत में उसकी रपट नही लिखनी है। हेड कॉन्स्टेबल ने किसान से ये भी कहा कि- हो सकता है कि तुमने पैसे कही उड़ा दिए हो या शराब पीने में खर्च कर दिए हो और अब घरवाली के डर से चोरी का नाटक कर रहे हो। अंत मे पुलिस वाले ने किसान से साफ साफ कह दिया कि उसकी रपट नही लिखी जाएगी। वह किसान वहाँ से उठा और उस टेबल से कुछ दूर सर पकड़ कर बैठ गया। तब एक सिपाही उसके पास पहुँचा और कान में बोला- बाबा, अगर कुछ खर्चा-पानी करो तो रपट लिखी जा सकती है। इस पर वह किसान बोला- मैं गरीब आदमी, कहाँ से खर्चा पानी दूँगा ? काफी बातचीत के बाद 35 रुपये पर बात तय हुई। गरीब किसान ने चुपके से मुंशी को 35 रुपये पकड़ाये तो कागज पर मुंशी ने रपट लिखना शुरू किया। बाबा की शिकायत पर तहरीर लिखी। लिखने के बाद मुंशी ने किसान से पूछा- बाबा, दस्खत करोगे की अँगूठा लगाओगे ? उसने अँगूठा लगाने के लिए स्याही का पैड आगे बढ़ा दिया। अब किसान ने पहले पेन उठाया और फिर स्याही वाला पैड भी। पुलिस वाला भी थोड़ी देर के लिए अचरज में पड़ गया कि आखिर ये करेगा क्या ? दस्खत या अँगूठा ? तभी उस किसान ने कागज पर अपना दस्खत किया और फिर अपने मैले कुचैले कुर्ते की जेब से एक मुहर निकली। उस मुहर को स्याही के पैड पर लगा कर कागज पर ठोक दिया। पुलिस वाला फिर अचरज में पड़ गया की किसान ने जेब से कौन सी मुहर निकाल कर ठप्पा मार दिया। उसने कागज को उठाया और पढ़ा तो उस पर दस्खत के साथ नाम लिखा था- चौधरी चरण सिंह और मुहर से जो ठप्पा लगा था उस पर लिखा था - प्रधानमंत्री, भारत सरकार। इसके बाद की कहानी छोटी है। थाने में हड़कंप मच गया।आनन-फानन में तमाम पुलिस अधिकारी और प्रशासन थाने पहुँचे। ऊसराहार थाने के सभी पुलिस कर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया। जब चौधरी चरण सिंह जी अपने इलाके के गाँव देहात में जाते थे तो उनको शिकायत मिलती थी कि थाने में बिना रिश्वत के कोई काम नही होता है। एक बार जब वे इटावा के ग्रामीण इलाके से गुजर रहे थे तो रास्ते मे पड़ने वाले थाने ऊसराहार की शिकायत मिली और उन्होंने असलियत जानने के लिए अकेले ही वेश बदल कर पुलिस थाने पहुँच गये। किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com

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