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Writer's pictureKishori Raman

बॉस की बारात


हड़ताल हमलोगों के अनुमान से भी ज्यादा लम्बा खिंच रहा था। हम लोगों ने सोचा था कि हप्ते दस दिनों में सरकार मान जायेगी पर सरकार टस से मस नही हो रही थी। हमारे बहुत सारे लोग ऊब कर या पैसों की कमी के कारण धीरे धीरे खिसक रहे थे। छात्र नेताओं की सख्ती के बाबजूद हमारी संख्या दिनोदिन घटती जा रही थी बिहार के तीनों ( अविभाजित बिहार) कृषि महा विद्यालय ( राँची, सबौर और पूसा ) के छात्र पटना सचिवालय के पास कृषि मंत्री के आवास के पास धरना प्रदर्शन कर रहे थे जिन्हें राज्य के कृषि विभाग के कर्मचारियों का समर्थन भी हासिल था। छात्रों की मुख्य मांग थी कि कृषि शिक्षा को तकनीकि शिक्षा घोषित किया जाय और बिहार से प्रतियोगिता परीक्षा पास कर कृषि स्नातक बनने बालो को बिहार सरकार की नौकरियों में प्राथमिकता दिया जाय। यह राजनीतिक अस्थिरता का वह दौर था (1979) जब ये लगने लगा था कि जनता पार्टी की सरकार गिरने वाली है और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने वाला है। अतः हमलोगों को विश्वास था कि सरकार जाते जाते कुछ दे जायेगी। शुरू शुरू में हम लोगो मे काफी उत्साह था। आज जहाँ आई जी आई एम एस (I G I M S) है वहाँ पहले शेखपुरा कृषि फार्म एवं कृषि कार्यालय हुआ करता था। उसी के कमरों को हम हड़ताली छात्रों ने अपना आशियाना बनाया था। उन कमरो में जमीन पर ही दरी बिछा के अपने बिस्तर लग गए थे। मेस का सारा सामान तथा कुक भी हरेक कॉलेज वाले अपने साथ ही लेते आये थे।चुकि पैसों के मामले में हम विद्यार्थियों का हाथ तंग था और होटल में खाकर ज्यादा दिनों तक लड़ाई नही लड़ी जा सकती थी अतः हम लोगों ने मेस की व्यवस्था कर रखी थी जो केवल सुबह और रात में खाना खिलाता था वह भी केवल चावल दाल और शब्जी, रोटी नही। चूँकि नास्ते की ब्यवस्था नही थी , अतः हम लोग साढ़े नौ - दस बजे जम कर खा लेते थे यानी नास्ता खाना सब एक साथ क्योंकि हमें मालूम रहता था कि अब रात को सात बजे के बाद ही खाना मिलेगा। थोड़ी देर आराम करने के बाद हम लोग करीब 4 किलोमीटर पैदल चलकर सचिवालय पहुंचते थे। इस तरह करीब पच्चीस दिन हो गये थे और हमारी संख्या काफी कम हो गई थी । जो बचे थे वे भी ऊब चुके थे। शाम को खाना खाने के बाद हमलोग इसी बात पर चर्चा कर रहे थे कि एक हमारे सीनियर जिन्हें हम नागा बॉस बुलाते थे आये और बताया कि परसो कुमार बॉस (जो पिछले साल पास कर निकले थे और सेंट्रल बैंक में कार्यरत) की शादी है। बारात राजेन्द् नगर डॉक्टर कॉलोनी में आएगी। उन्होंने सभी राँची कैंपस वालो को निमंत्रित किया है। हम लोगों ने पूछा - बॉस, खाने पीने की व्यवस्था है न ? इसपर उन्होंने कहा, अरे.. मत पूछो.. जबरदस्त ब्यवस्था है , बफे सिस्टम, टेबल पर सब रक्खा रहेगा ,जितना मन उतना खाओ। और उन्होंने खासकर अपने दोस्तों के लिए नॉनभेज में चिकेन की ब्यवस्था भी करवाई है। खाने की बात और वह भी चिकेन सुनकर हम सबो में उत्साह का संचार हो गया। हम सब यहाँ भात दाल खा खा कर ऊब गये थे। फिर नागा बॉस ने फरमान जारी किया कि सब लोग पुरा टिप टॉप होकर , कॉलेज ब्लेजर में चलेंगे और बारात में जम कर ऐसा डांस करेगें कि पटना में तहलका मच जायेगा । सुनकर हम लोग खुश हो गए। बारात वाले दिन हमलोग धरना स्थल से थोड़ा पहले आ गये और बन-ठन कर बारात के लिए चल पड़े। हम लोग करीब पच्चीस छब्बीस छात्र थे। नवम्बर का महीना था और ठंड ज्यादा नही थी फिर भी हम में से करीब दस लोगो ने ब्लेजर और टाई पहन रखी थी। बारात जनवासा से निकल चुकी थी और दरवाजा लगने के लिए बढ़ रही थी। हम लोग भी बारात में शामिल हो गए। बैण्ड वाला धुन बजा रहा था और सबको डांस करने का निमंत्रण दे रहा था। बॉस का इशारा पाते ही हम सब डांस में शामिल हो गए। सचमुच हम लोगो ने अपने डांस से तहलका मचा दिया।पहले डांस करने में लोग झिझक रहे थे पर अब तो सब लोग कूद फांद मचा रहे थे। दूल्हा बने कुमार बॉस भी हम लोग के साथ डांस कर हमलोगों का जोश बढ़ाया। बारात दरबाजा लगने वाली थी। हम सब थक कर चूर और पसीने से तर बतर हो चुके थे । तभी नागा बॉस आये और कहा। अब अंत में एक बार और गरदा मचाना है और तभी बैंड वाले ने डॉन फ़िल्म का "खाय के पान बनारस वाला " धुन बजाना शुरू किया। हम सब लोग फिर डाँस के लिए तैयार हो गए। इस बार चुकी दुल्हन के घर के दरवाजे पर नाचना था इसलिए अब तक जो लोग बाहर खड़े होकर ताली बजा रहे थे वे भी नाच में शामिल हो गए और नाचने वालो की काफी भीड़ हो गई। गर्मी के कारण ब्लेजर में नाचने में दिक्कत हो रही थी अतः मेरा दोस्त मोहन ने अपना ब्लेजर उतार दिया और किसी परिचित चेहरे की तलाश करने लगा। साथ चल रहे एक लड़के ने उसके ब्लेजर को थाम लिया। उसके देखा देखी दो और साथियों ने अपना ब्लेजर उतार कर दूसरे को पकड़ा दिया। और फिर तो जमकर डांस हुआ। दरवाजा लगने के बाद हमसबों को बैठाया गया और पानी का ग्लास दिया गया। हम लोग थक कर चूर हो गए थे और पानी का ग्लॉस पर ग्लॉस पिये जा रहे थे। कुछ आराम मिला तो मोहन ने अपने ब्लेजर की तलाश की। ब्लेजर थामने वाले लड़के का कोई आता पता नही था। अब अन्य दो लड़कों ने अपनी ब्लेजर की तलाश शुरू की। उनका भी ब्लेजर गायब था। तभी एक लड़की पक्ष के बुजुर्ग से दिखने वाले ब्यक्ति ने कहा। भाई ,ये पटना है। यहाँ बारात में चोर चुहाड़ सब घुस कर पैसा, घड़ी सब पार कर देता है। घबराकर हम सबो ने अपने अपने पॉकेट की तलाशी ली । चार लोगों की पॉकेट कट चुकी थी। हम लोगो का उत्साह ठंढा हो गया। थकान के मारे बुरा हाल था औऱ उसपर पॉकेट कटने और ब्लेजर के चोरी हो जाने का गम। हम सब कुर्सी पर निढाल थोड़ी देर यूँ ही बैठे रहे । तभी लड़की पक्ष का एक आदमी आया और बोला , अरे, अगर आपलोग इसी तरह बैठे रहे तो भूखा ही रहना पड़ेगा। हमलोग उठे और जब खाने के लिए पहुँचे तो पूड़ी सब्जी के अलावा मिठाई, पनीर वाली सब्जी, चिकन सब साफ हो चुका था। जिसके सामने जो डिश आ रहा था वही पूरा अपने प्लेट में भर ले रहा था। हमलोगों ने बच रही सुखी पूड़ी और आलु की सब्जी ली। चिकन वाले बर्तन में केवल झोर था और रसगुल्ले वाले बर्तन में रसगुल्ले का रस। बड़ी मुश्किल से एक दो पूड़ी ही खा सके। चिकन और मिठाई वाले खाली बर्तन मानो हमें मुहँ चिढ़ा रहे थे। किशोरी रमण। BE HAPPY.....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow, share and comments. 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2 comentarios


Miembro desconocido
18 oct 2021

Bahut hi Sundar.....

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verma.vkv
verma.vkv
15 oct 2021

वाह, पढ़ कर मज़ा आ गया ।पुरानी बातें याद आ गई ।

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