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#मन को अपने वश में रखें#

  • Writer: Kishori Raman
    Kishori Raman
  • Dec 6, 2021
  • 2 min read

एक बार तथागत बुद्ध किसी नगर से गुजर रहे थे। तभी उनकी नजर नगर के एक कपड़े के व्यापारी पर पड़ी जो काफी दुखी और हताश नजर आ रहा था। बुद्ध ने उससे पूछा कि आप इतने उदास क्यों है ? तो उस ब्यापारी ने बुद्ध को अपने दुकान के अंदर बुलाया और उचित आसान पर बैठाया। फिर उसने निवेदन किया कि जबसे उसकी पत्नी की मृत्यु हुई है उस पर घर की जिम्मेदारी आ गई है। मेरे घर पर मेरे छोटे बेटे की देखभाल करने वाला कोई नहीं है इसलिए मैं उसे हमेशा अपनी दुकान पर ले कर आता हूँ। लेकिन यह मेरा बेटा बहुत उदंड है। मेरी दुकान पर आने वाले हर एक ग्राहक की पगड़ी उछाल कर फेंक देता है। कभी-कभी तो ग्राहकों का झोला भी बाहर फेंक देता है। मैंने उसे बहुत समझाया। कई बार उसे डांटा भी। लेकिन वह नहीं समझता है। इसकी इन हरकतों की वजह से मेरे सारे ग्राहक अपने को अपमानित महसूस कर वापस चले जाते हैं। इससे मेरे व्यापार पर बुरा असर पड़ रहा है। इतना सुन बुद्ध बोले, मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ। पर मुझे तुम्हें यह वचन देना होगा कि मैं जो भी करूँ उसमें तुम कोई दखल नहीं दोगे और न ही कोई प्रश्न करोगे। व्यापारी बुद्ध को वचन देता है। अगले दिन बुद्ध उसकी दुकान पर ग्राहक बनकर और पगड़ी पहन कर आते हैं। वे दुकान पर आकर बैठ जाते हैं। व्यापारी का बेटा आता है और बुद्ध की पगड़ी को उछाल देता है। बुद्ध मुस्कुराते हैं और उस बच्चे से बोलते हैं, बहुत अच्छा, जाओ अब उस पगड़ी को वापस लेकर आओ। वह बच्चा दौड़ कर जाता है और पगड़ी उठाकर बुद्ध को दे देता है। अगले दिन बुद्ध अपने साथ एक कुल्हाड़ी और लकड़ी लाते है। जब उस लड़के ने बुद्ध की पगड़ी उछाल दी तो बुद्ध ने उसे लकड़ी और कुल्हाड़ी देते हुए कहा, जाओ, इस लकड़ी को काटो। लकड़ी और कुल्हाड़ी को देखकर व्यापारी थोड़ा डर जाता है कि कही बच्चे को चोट न लग जाये। पर अपने वचन के कारण वह चुप ही रहता है। सात दिनों तक बुद्ध कोई ना कोई काम लेकर आते और उस लड़के से करवाते। शीघ्र ही वह लड़का भूल जाता है कि उसे किसी की पगड़ी उछालनी है। व्यापारी अपने बच्चे में हुए इस परिवर्तन को देखकर खुश हो जाता है और बुद्ध का धन्यवाद करता है। इस कहानी से यही अर्थ निकलता है कि अगर हम अपने मन को अपने हिसाब से काम नहीं करवाएंगे तो मन अपने हिसाब से काम करेगा। मन वश में हो सकता है, अगर हम मन को अपने हिसाब से चलाएं। मन दो तरह से काम करता है। मन अपने हिसाब से काम कर सकता है या मन को हम अपने हिसाब से काम करवा सकते हैं। भगवान बुद्ध से मिलने से पहले उस लड़के का दिमाग अपने हिसाब से अनियंत्रित रूप से काम कर रहा था। लेकिन बुद्ध ने उस लड़के से अपने अनुसार काम करवाया जिससे उसकी आदत ही बदल गई। किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com




2 Comments


Unknown member
Dec 20, 2021

Very nice....

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verma.vkv
verma.vkv
Dec 07, 2021

बहुत ही सुंदर विचार।

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