आज जो मंज़िल पाने की चाह में
भीड़ के साथ चुपचाप हो जाते हैं
अपने उसूलों से समझौता करनेवाले
गुमनामी के अंधेरे में खो जाते हैं
किसी भी देश का लोकतंत्र तो
संघर्ष और कुर्बानी पर खड़ा होता है
जब सींचते है लोग अपने पसीने से
तभी ये मजबूत और बड़ा होता है
जुनून और सच्चाई के बिना तो
हमारा राष्ट्र प्रेम अधूरा होता है
एकता के सूत्रमें जब बंधते हैं लोग
राष्ट्रनिर्माण का सपना पूरा होता है
अगर वतन को रखना है आजाद
हम सबको भी आहूति देना होगा
हमारी आनेवाली पीढ़ी रहे महफ़ूज
इसके लिए हमे चिराग बनना होगा
दुआ करें कि मुझे मंजिल न मिले
वतन की राह मे यूँ ही चलता रहूँ
अजर- अमर रहे ये देश हमारा
मशाल बन यूँ ही मैं जलता रहूँ
किशोरी रमण
BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE
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वाह, देशभक्ति पर सुंदर कविता।
Very nice....