Kishori Raman
" महात्मा बुद्ध और शिकारी "

एक बार की बात है कि महात्मा बुद्ध जंगल मे एक पेड़ के नीचे बैठे ध्यान में लीन थे। ध्यान लगाते उन्हें कई दिन हो गये थे। उस रास्ते से एक शिकारी निकला। उसने भगवान बुद्ध को पहचान लिया। उसने भगवान बुद्ध की काफी बड़ाई सुनी थी। पर वह उनकी बड़ाई से खुश नही था। उसने भगवान बुद्ध की परीक्षा लेने की सोंची। पहले तो उस शिकारी ने एक छोटा सा पत्थर भगवान बुद्ध के शरीर पर फेंका, लेकिन भगवान बुद्ध की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। शिकारी कुछ देर प्रतीक्षा करता रहा यह सोच कर कि भगवान बुद्ध की तरफ से कुछ प्रतिक्रिया होगी और वे उस पर गुस्सा होंगे। पर बुद्ध तो अपनी तपस्या में ही लीन रहे। अब उस शिकारी ने एक बड़ा सा पत्थर उठाया और उसे बुद्ध की तरफ उछाल दिया। इस बार वह पत्थर बुद्ध की आंखों के ऊपर लगा और वहाँ से खून बहने लगा। महात्मा बुद्ध को आभास हुआ कि शरीर से रक्त बह रहा है किंतु फिर भी वह अपनी तपस्या से नहीं उठे। अब शिकारी को गुस्सा आ गया और उसने एक और पत्थर महात्मा बुद्ध की तरफ फेंका। महात्मा बुद्ध के शरीर से बहुत खून बहने लगा। इतनी पीड़ा महसूस कर उनकी आँखों से आँसू निकलने लगे। अब वह शिकारी महात्मा बुद्ध के पास आया और पूछा कि जब मैंने आपको पत्थर मारा तब आपने कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी ? भगवान बुद्ध ने शान्त भाव से कहा- तुमने जब मुझे पत्थर मारा तो मेरे शरीर को कष्ट हुआ मेरी आत्मा को नहीं। महात्मा बुद्ध का यह उत्तर सुनकर वह शिकारी अवाक रह गया। उसने पुनः बुद्ध से पूछा कि फिर आपकी आँखों से आँसू क्यों बह रहे हैं ?इस पर बुद्ध ने कहा कि तुम्हारे द्वारा किए गए अनुचित कार्य के परिणाम के बारे में सोंच कर मेरा मन और आत्मा रो रहे हैं कि तुमने इतना बड़ा पाप किया है, तुझे इसकी कैसी सजा मिलेगी ? वह शिकारी यह सुनकर नतमस्तक हो गया। उसने उनके चरणों में गिरकर क्षमा मांगी और बोला- भन्ते, आज आपने मेरी आँखें खोल दी। बुद्ध क्षमाशील व्यक्ति थे। उन्होंने उसे क्षमा कर अपना आशीर्वाद दिया और उसे अपना शिष्य बनाया। बाद में वह शिकारी भगवान बुद्ध के उपदेशों एवं शिक्षा के पश्चात एक महान भिक्षु बना। किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com