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  • Writer's pictureKishori Raman

माफ करें



हमारी ये विडम्बना है कि जो चीज हम अपने साथ नही ले जा सकते उन्हीं चीजो को पाने के लिए पागल रहते है। लेकिन अच्छे कर्म जो हमारे साथ जायेगें कि तरफ हम ध्यान ही नही देते । हमारे सारे दिन एक समान नही होते अतः सुख और दुख दोनों परिस्थितियों में अपना धैर्य और विवेक बनाये रखना है और खुद में माफ करने की आदत डालनी है। इन्ही सब भावनाओं की अभिव्यक्ति है प्रस्तुत कविता जिसका शीर्षक है........ माफ करें खाली हाँथ आये हम सब खाली हाँथ ही जाना है साथ रहेंगें कर्म हमारे सबको ये समझाना है सब दिन रहे न एक समान आज लाभ कल नुकसान फिर क्यो पागल मनअपना सोंच सोंच के है परेशान है चार दिनों की चाँदनी कल होगी अन्धेरी रात समझ न आये मेरे मन को इतनी छोटी सी बात प्यार दोस्ती और बिश्वास यही हमारा नारा हो मदद करें उस भाई की जिसने हमें पुकारा हो आओ हम सब गले मिले अपने मन को साफ करें हुई गलती अगर किसी से उसको हम सब माफ करें किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow, share and comments. Please follow the blog on social media. link are on contact us page. www.merirachnaye.com




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