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मुस्कुराना सीख लिया हैं

  • Writer: Kishori Raman
    Kishori Raman
  • Jan 10, 2024
  • 1 min read

Updated: Jan 20, 2024


हमारी तो  जिन्दगी गुजर जाती है इंतजार में

पर हमे कभी  मनचाहा किरदार नही मिलता

शोहरत और दौलत तो हमे  मिल भी जाते हैं

पर सच्चा दोस्त और सच्चा प्यार नही मिलता


हमे पता ही नहीं होता और हमारी ख्वाहिशे

बारिश  की  बूंदों  की  तरह  बरस  जाती है

हथेली  तो बेशक हमारे भींग  जाते हैं मगर

हमारी आत्मा  बूंद  बूंद  को  तरस जाती है


हसरतें पाल लेते हैं हम किसी के मुस्कुराने से

बसंत आया मानते हैं फूलोंके खिलखिलाने से

पर  अपने  दिल की बात  कभी सुनते ही नहीं

और नाहक  उलझते हैं  किसी के उलझाने से


खुद के झूठ से रूबरू होना मैने सिख लिया है

अपने अलग होने के एहसास को खूब जिया हैं

छोड़  आया अपने गुरूर को पिछले चौराहे पर

अब  हर हाल में मैंने  मुस्कुराना सीख लिया हैं



किशोरी रमण




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4 則留言


未知的會員
2024年4月11日

Very nice👍

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VIJAY VERMA
VIJAY VERMA
2024年1月12日

वाह, बहुत सुंदर कविता, हृदयस्पर्शी ।

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Sursen Roy
Sursen Roy
2024年1月11日

बहुत सुंदर और मार्मिक रचना

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Nagendra P Singh
Nagendra P Singh
2024年1月11日

सुंदर किशोरी रमन


डा नागेंद्र बधाई नव

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