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# मेरा क्या कसूर है ?#

  • Writer: Kishori Raman
    Kishori Raman
  • Oct 30, 2021
  • 1 min read

Updated: Oct 31, 2021


आज प्रस्तुत है अपने " ख़ुद " की खोज-खबर लेती ये कविता जिसका शीर्षक है••••• # मेरा क्या कसूर है ?# शायद मुझे अपनी शायरी पर गुरुर है तभी तो मेरा सुख -चैन मुझसे दूर है गर ये झकझोरती है किसी के जमीर को तो फिर भला इसमे मेरा क्या क़सूर है ? मैं तो प्रेम के फ़साने रोज लिखता हूँ सच और झूठ के पाटो में रोज पिसता हूँ आज तो सच्चाई की पूछ नही है फिर भी

मैं उसी खोटे सिक्के को रोज घिसता हूँ दोस्तो, मुझे अपना आईना तो दिखलाना जिन्दगी क्या है जरा मुझे भी तो बतलाना हाँ, तुम्हारा हर इल्जाम मेरे सर आँखों पर पर अपनी जिन्दगी के फलसफे तो समझाना उन्हें शिकायत है, मैं अब भी खिलखिलाता हूँ अपनी शायरी के बूते हर दर्द को झुठलाता हूँ जो बुझाएँ हैं चिराग खुदगर्ज हवाओं ने उन्हीं को सहेज कर मैं फिर से जलाता हूँ किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com




3 Comments


kumarinutan4392
kumarinutan4392
Nov 07, 2021

Beautiful.....

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verma.vkv
verma.vkv
Nov 01, 2021

वाह, बहुत सुंदर रचना।

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Unknown member
Oct 31, 2021

Bahut hi Sundar....

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