Kishori Raman
मेरी गज़ल
Updated: Aug 23, 2021

आप अपनी जिंदगी के कुछ यादों को लाख चाह कर भी भूला नही पाते हैं। कसमे, वादे,प्यार और बेवफाई आपको तड़पाती है पर आप इन्हें फिर से एक बार जीना चाहते हैं । पर क्या यहसंभव है ? नही न ? तो फिर इन्ही सब इच्छाओं या तड़प को संभव बनाने की संभावना तलाशता है मन के भाव और शब्दों की बाजीगरी जिसे आप और हम कविता या ग़जल की संज्ञा देते हैं । तो आज प्रस्तुतकर रहा हूँ अपनी एक ग़ज़ल आप सबो केलिए ।
गजल तुम्हारी महफ़िल में आज खुद को अजनबी पा रहा हूँ साथ चलने की कसमें खाई थी पर अकेला जा रहा हूँ तुम तो भूल गई प्यार और वफ़ा सिखला कर मैं तो उसी बफा के गीत को दुहराये जा रहा हूँ बड़ा गुमान था तुम्हे मुहब्बत पर कहती थी नहीं भूलेंगे प्यार की खातिर ज़हर भी मिले तो हँस कर पी लेंगें यह सच है कि प्यार काकोई सौदा नही होता मगर क्या यह मुमकिन है कि तुम्हारे बिना हम जी लेंगें मेरी हसरत है कि एक बार फिर से तेरा दीदार करूँ चाँदनी रातो में अपने मोहब्बत का फिर से इज़हार करूँ तुम ही हो मेरी जाने बफा ,मेरी गजल और मेरी शायरी इसे भरी महफ़िल में आज मैं फिर से स्वीकार करूँ अगर मिले अपनो से फुरसत तो तुम यहाँ आ जाना मेरे जीवन की बगिया में प्यार का फूल खिला जाना पता नही मेरे दिल की धड़कन कब कर दे बेबफाई हो सके तो मुहब्बत के नाम एक शमा ही जला जाना किशोरी रमण