सौ दिन और सौ ब्लॉग,
आज मेरी ब्लॉगिंग यात्रा के सौ दिन पूरे हो रहें हैं और आज मैं अपना सौवाँ ब्लॉग लेकर आप सबों के बीच हाज़िर हूँ।
इस यात्रा में आप सबों का असीम प्यार और सहयोग मिला। लगता है मेरा लिखना सफल रहा है, मेरी सोंच और शब्दों के प्रति मेरी ईमानदारी को पहचान मिली है।
हाँ••• यात्रा तो अभी जारी है। आशा है, आपके स्नेह और सहयोग से ये आगे भी जारी रहेगा।
मैं लिखता क्यों हूँ ? सवाल के औचित्य पर अब कोई सवाल नहीं होंगें क्योंकि कुछ सवाल एक समय के अंतराल के बाद खुद ही जबाब बन जाते हैं। वह समय अभी आया है या नहीं, मुझे मालूम नहीं। हाँ, इतना विश्वास अवश्य है कि समय सही वक़्त पर मेरे प्रयास को रेखांकित करेगा और कभी न कभी मुझे सही मुकाम अवश्य मिलेगा।
जैसा कि मैंने पहले भी कहा था कि मेरे लिये मेरी सार्थकता इसी में है कि मैं आप सबों से जुड़ सकूँ और यह सब मैं ब्लॉग के माध्यम से ही कर सकता हूँ। और आगे भी मैं अपने प्रयास को जारी रखना चाहता हूँ।
हां मुझे कोई गलतफहमी नहीं है कि मैं कोई बड़ा कवि या साहित्यकार हूँ, न हीं मैंने ऐसा कभी दावा ही किया है। बस सृजन के आनंद को महसूस करना चाहता हूँ। आपको मेरी रचनाओं में व्याकरण की अशुद्धि भी मिलेगी और विचारों का अधकचरापन भी। पर मेरा प्रयास यह रहता है कि जो मेरे अंदर है और जो मुझे बेचैन करता है वह सब बाहर आये एक सृजन के रूप में। मैं सृजन के दर्द को ही नहीं बल्कि उसके आनंद को भी महसूस करूँ। प्रकृति से न सिर्फ वार्तालाप करूँ बल्कि उसके साथ एकाकार होकर जिऊँ भी। मेरा यह भी मानना है कि यह दुनिया अच्छी है।यहाँ के अधिकांश लोग अच्छे हैं। बस जरूरत इस बात की है कि अच्छे को अच्छा कहा जाए (भले बुरे को बुरा न कह पाए ) अच्छे लोग और अच्छे विचारों को तरजीह दी जाए, उनकी मदद की जाए, ताकि वे लोग न सिर्फ खुद खुश रह सके बल्कि लोगो में खुशी बाँट भी सकें।
तो आगे भी पढ़ते रहें मेरे ब्लॉग को और अपनी प्रतिक्रियाओं से मुझे अवगत भी कराते रहें। इसी अनुरोध के साथ है यह आज का ब्लॉग।
किशोरी रमण
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Very nice.....
Very nice story.....
100 दिन 100 रचनाएं एक अनुपम उपलब्धि के लिए बहुत बहुत बधाई। यह जोश ,उत्कृष्ट इच्छा शक्ति और लगनशीलता का परिचायक है। आशा है यह जज्बा आगे भी बरकरार रहेगा।
शुभकामनाएं।
:-- मोहन"मधुर"
बहुत बहुत बधाई ।