हमे मोक्ष की प्राप्ति कैसे हो यह बड़ा ही जटिल प्रश्न है और ज्यादातर लोग इसके लिए दुनिया और इसके सुख सुविधा के प्रति विरक्ति और अपने प्रभु के प्रति आसक्ति को मूल मंत्र समझते है। यहाँ भगवान बुद्ध के अनुसार आत्म ज्ञान से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। उनके अनुसार हमे अपने कर्तव्यों का पालन बिना किसी दुर्भाव के पूरी ईमानदारी के साथ करना चाहिए। साथ ही अपने मन को शांत रखना चाहिए क्योंकि शान्त मन से उपदेश सुनने पर ही वास्तविक ज्ञान की प्राप्ति हो सकती है जो की हमे मोक्ष की ओर ले जाता है। एक बार की बात है कि भगवान बुद्ध अपने शिष्यों के साथ अपनी कुटिया मे बैठे थे। तभी मोक्ष पर चर्चा होने लगी। सब जानना चाहते थे कि मोक्ष कैसे प्राप्त किया जाय। सबो ने भगवान बुद्ध से इस पर चर्चा हेतु निवेदन किया। तब भगवान बुद्ध ने एक भिक्षु और जल्लाद की कथा सुनाई । एक राज्य का मुख्य जल्लाद जिसने बहुत सारे गुनाहगारों को मृत्यु दंड दिया था अब रिटायर होकर राज्य से बाहर एक कुटिया में अपना जीवन ब्यतीत कर रहा था। उसे ये हमेशा ही लगता था कि उसने बहुत लोगों की हत्या की है और वह बहुत बड़ा पापी है। वह अपना सारा दिन पश्यताप में गुजारता। एक दिन वह इन्ही सब ख्यालो में खोया अपनी थाली में भोजन परोस रहा था कि उसे अपने दरवाजे पर आहट सुनाई पड़ी। उसने दरवाजा खोला तो देखा कि एक भिक्षु खड़ा है। लग रहा था कि बहुत दिनों के ध्यान से वह अभी अभी उठा है और बहुत भूखा है। जल्लाद ने उन्हें अन्दर बुलाया और उचित आसन पर बैठा उनका अभिवादन किया। फिर अपना खाना उन्हें दे दिया। भूखे भिक्षु खाना खाकर संतुष्ट हो गये। जब भिक्षु ने जल्लाद के बारे में जानना चाहा तो जल्लाद ने उनसे अपनी सारी बाते बताई। जल्लाद ने कहा कि उसने बहुतो को सजा दी है तथा वह बड़ा पापी है। जल्लाद की वेदना सुनकर भिक्षु शांत स्वर में बोले ,क्या तुमने वो सब जीव हत्या अपनी मर्जी से की थी ? जल्लाद बोला - नहीं, मैं तो बस अपने राजा की आज्ञा का पालन कर रहा था। मेरा कोई इरादा नही था उन्हें दंड देने का। भिक्षु ने पूछा , फिर तुम अपराधी कैसे हुए ? तुम तो अपने राजा के आज्ञा का पालन कर रहे थे। तब जल्लाद को एहसास हुआ कि वह गलत कामो के लिए जिम्मेवार नही है। वह तो अपना दायित्व पूरा कर रहा था। इस तरह जल्लाद का मन शान्त हो गया। फिर भिक्षु ने जल्लाद को उपदेश दिया और विदा लिया। इस घटना के बाद जल्लाद शान्त रहने लगा। उसने भिक्षु के दिये उपदेशो एवं शिक्षाओ का पूरे नियम से पालन भी किया जिससे उसे ज्ञान की प्राप्ति हुई और उसकी मौत के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई। सारे शिष्य आश्चर्य से बुद्ध को देख रहे थे। उन्हें समझ नही आ रहा था कि जिसने इतनी सारी हत्याये की हो उसे मोक्ष कैसे प्राप्त हो सकता है। शिष्यों के मन की बात को समझते हुए बुद्ध ने कहा- भिक्षु के उपदेशों से जल्लाद को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। जल्लाद के जीवन मे पहली बार किसी ने उपदेश दिया था जिसे उसने पूरे शान्त चित और मन के साथ सुना था और समझा भी था इसलिए मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई। बुद्ध ने ये भी कहा कि बिना ज्ञान के हजारों शब्दों का उपदेश भी बेकार है किंतु शांत मन से उपदेश का एक शब्द भी सुन लिया जाय तो वह ज्ञान देता है और ज्ञान मोक्ष देता है। किशोरी रमण।
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Nice line....
बुद्ध के उपदेश की सुन्दर प्रस्तुति।
बहुत सुंदर प्रस्तुति।