जिन्दगी के सफर में ऐसे कई मुक़ाम आये कुछ ने हाँथ थामा तो कुछ ने मुझे गिराये जो भी रहा अच्छा रहा उन्हें प्रणाम करते है
अपनी ये गजल उन्ही यादों के नाम करते है
घर वालो ने स्नेह दिया तो दोस्तो ने दिया प्यार
हाँ कभी कभी होती रही आपस की तक़रार
जिन्दगी के इस मोड़पर सबको सलाम करते है
अपनी ये गजल उन्ही यादों के नाम करते हैं
जीवन के सफर में आप सबका सहारा मिला
तूफान से डगमगाती कस्ती को किनारा मिला
थक गया इस भागदौड़ में अबआराम करते है
अपनी ये गजल उन्ही यादों के नाम करते है
वो न आये तो भी जिन्दगी को मुकाम मिला
धन दौलत रूतबा और एक पहचान मिला
अब वे क्यों भला खुद को बदनाम करते है
अपनी ये ग़जल उन्ही यादों के नाम करते है।
किशोरी रमण
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वाह! शानदार, सत्यगर्भित,वजनदार व जानदार रचना।
:-- मोहन"मधुर"
वाह, बहुत ही सुंदर रचना ।
आपकी लेखन प्रशंसनीय है ।