जिन्दगी के इस मोड़ पर, बचपन की सुहानी यादें न सिर्फ हमे गुदगुदाती हैं, हँसाती है, बल्कि हम सबों में जीवन ऊर्जा का संचार भी करती है और तब जीवन जीने की ललक बढ़ जाती है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रख कर लिखी गई है ये कविता जिसका शीर्षक है••••
याद करते रहो बचपन के दोस्तों को
दोस्तों, आओ आज हम सब अपने बचपन की बात करते हैं बिताये गये मस्ती के पलों को एक बार फिर से याद करते हैं अपने वे दिन भी क्या दिन थे जब हम यूँ ही खिलखिलाते थे कभी चिढ़ाते थेअपने दोस्तों को कभी उन्हें ऊल्लू भी बनाते थे कभी किसी को यूँ ही छेडते थे किसी के फटे में टाँग घुसेड़ते थे जब कभी बिगड़ने लगती थी बात तब हम अपने हाँथो को जोड़ते थे तब अपने पास कुछ नही था मगर दिल के शहंशाह ही नजर आते थे रात को जम कर पढ़ाई करते थे और परीक्षा में अब्बल ही आते थे याद है हमें फन्नी बाबू का ढाबा हम सबों के लिए वही था काबा बगल में ही था मद्रासी का होटल इडली,डोसा कोल्ड ड्रिंक के बोतल
न किसी को अपना भविष्य मालुम था
फिर भी सबों में बेफिक्री का अलाम था
शाम में होती थी कॉलेज गेट की मस्ती
जुमार नदी तक चलती थी अपने कश्ती
वो सब बातें जैसे आज की ही बात है
मुझे अपने सभी दोस्तों पे नाज है
याद करते रहो बचपन के दोस्तो को
अपने को खुश रखने का यही तो राज है
किशोरी रमण
BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE
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Very very nice.....
वाह वाह,
यादगार रचना हम दोस्तों के लिए ।
Bahut hi Sundar .......