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Writer's pictureKishori Raman

ये ज़िंदगी है क्या ?

हमने जो जिया है

और जो जी रहे हैं

अगर वो ज़िंदगी नही

केवल एक दौड़ है

तो फिर ज़िंदगी है क्या ?

जिसके लिए हम सब

आज भी दौड़ रहे हैं

जिसने छीन लिए

हमारे बचपन

शरारतें और मौज मस्ती

बीत गया अपना

युवावस्था और जवानी

ख्वाब बुनते बुनते

त्याग दिए सारे सुख

नौकरी, तरक्की के लिए

बीबी बच्चो के लिए

दौड़ते रहे हम

मार दिए हमने

खुद को अपनी इच्छाओं और सपनो को।

जिन्दगी के इस पड़ाव पर

पत्नी कहती है

आप बैल के बैल रह गए

बच्चे कहते है

आपने किया ही क्या है ?


जटिल प्रश्न है

अपने लिए कुछ नहीं किया

बच्चों के लिए कुछ नहीं किया

तो हमने किया ही क्या है ?

सब कहते हैं

यहां से जाने का समय आ गया है

तो हमने सारी ज़िंदगी

उस घर के लिए क्यो लगा दी

जो अपना है ही नही

फिर सवाल तो वही है

कि ये ज़िंदगी है क्या ?


किशोरी रमण



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