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  • Writer's pictureKishori Raman

लघुकथा "सुख के लिए भटकना क्यों"

Updated: Aug 24


एक गांव में एक कलाकार रहता था। लकड़ी को तराश कर सुंदर सुंदर मुर्तियां बनाता, फिर उन्हे बेच कर पैसे कमाता और आराम से अपनी ज़िंदगी बसर करता। एक बार, रोज की तरह वह लकड़ी के कलाकृतियों को सड़क किनारे सजा कर खुद वहीं बिछे खाट पर आराम से लेटा हुआ था। एक पढ़ा लिखा आदमी वहां से गुजर रहा था। उसको एक कलाकृति पसन्द आ गई। उसने कलाकार से उसकी कीमत पूछी। कलाकार ने खाट पर लेटे लेटे ही उसकी कीमत बता दी। उस व्यक्ति को कलाकार का ये रूखा व्यवहार पसंद नही आया। उसने कलाकार से कहा, भाई तुम यहां अपना सामान बेचने आए हो या आराम करने। इस पर कलाकार ने लेटे लेटे ही कहा, जिसको लेना होगा वह तो खरीद ही लेगा। फिर भला मैं क्यों परेशान होऊं ? इस पर उस व्यक्ति ने कहा, आराम करने के बजाय अगर तुम ग्राहकों से बातें करो, उन्हे कलाकृति के विशेषताओं को बता कर उन्हे पटाओ तो तुम्हारी बिक्री ज्यादा होगी। जितनी ज्यादा बिक्री होगी उतनी ही अधिक कमाई होगी। उस कलाकार ने पूछा, अधिक कमाई से क्या होगा ? इस पर उस व्यक्ति ने खीजते हुए कहा, तुम बड़े अजीब आदमी हो। क्या तुम इतना भी नही जानते ? फिर उसे समझाने के ख्याल से कहा कि जब अधिक कमाई होगी तो तुम अपना बड़ा सा दूकान खोल सकते हो। अपना काम अन्य शहरों में फ़ैला सकते हो। उस कलाकार ने फिर कहा, ये सब तो ठीक है पर उससे क्या होगा ? इस पर उस व्यक्ति ने आश्चर्य से पूछा अरे, तुम अब भी नही समझ पा रहे हो ? तब तुम्हारे पास बड़ा सा घर और बहुत सारी सम्पत्ति होगी। फिर जीवन भर आराम ही आराम, और क्या ? इस पर उस कलाकार ने कहा, तो अभी मैं भला क्या कर रहा हूं ? जब इतना सब आराम के लिए ही करना है तब तो मैं पहले से ही आराम कर रहा हूं। इस कहानी से ये प्रश्न तो उठता ही है कि जब सुख सहजता से मिल रहा है तो भटकना क्यों है ? किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com

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