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Writer's pictureKishori Raman

विचार और आचरण

Updated: Sep 19, 2021


हमारा देश महापुरुषों का देश है, महान आत्माओं का देश है जिनके विचारों और सद्कर्मो से समस्त मानव जाति का कल्याण हुआ है। जिन्होने हमे सभ्यता,संस्कृति और विज्ञान की अनुपम भेंट दी है जिससे सबका भला हुआ है। पर आज हम उन महापुरुषों एवम उनके विचारों का अनुयायी होने का दावा तो करते है पर न तो उनके बताए रास्तो पर चलते है और न ही उनके विचारों पर अमल करते हैं। हमने अपने उन महापुरुषों को अवतार घोषित कर उनकी भव्य मुर्तिया बनाकर मंदिरों में स्थापित कर दिया है। सोने,चांदी और कीमती सजावट की चीज़ों से उन्हें अलंकृत कर रोज उनकी पूजा आरती करते है औऱ अपने कर्तब्य की इतिश्री समझ लेते है। हम सब प्रकृति की पूजा करने वाले लोग हैं। हमें तो हर जीव ,जंतु यहाँ तक की कण कण में भगवान नजर आता है। हवा ,पानी, धरती, आकाश ,पहाड़, पेड़-पौधे इन सबको हमने भगवान मान कर इनकी पूजा की। अब प्रश्न है कि जिनकी हमने पूजा की उसे बचा क्यो नही पा रहे हैं ? हमारे देवता सरीखे जंगल कट गये, पहाड़ नष्ट हो गये, माता सरीखी नदियाँ सूख गयी और हवा प्रदुषित एवम जहरीली हो गयी। क्यो हुआ ऐसा ? ऐसा इसलिये हुआ कि हमने इनकी पूजा तो की पर इनकी शिक्षा और संदेशों को न तो अपने विचारों में जगह दी और न ही इन्हें अपने आचरण और ब्यवहार में उतार पाये। ओशो ने सच ही कहा है कि "हम अवतारों में बिश्वास करने वाले लोग हैं, इस लिए जब किसी ब्यक्ति के आचरण का पूर्ण अनुसरण -अनुकरण नही कर पाते तो अवतार बना कर उसे छोड़ देते हैं। फिर उससे पीछा छुड़ाने के लिये नए अवतार की तलाश करने या गढ़ने में लग जाते हैं। ऐसा करना हमे हमेशा से भाता रहा हैं।" अंत मे , अगर हम अपने अवतारों के विचारों एवम सदाचरण को अपने जीवन एवम आचरण में उतारे तो दुनिया का भला हो सकता है। किशोरी रमण


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2 Comments


Unknown member
Oct 18, 2021

Nice story....

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sah47730
sah47730
Sep 08, 2021

Nice post👍

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