जिंदा लोगो के इश्क़ की कोई कहानी नही होती
खामोश गुजर जाने वालों की निशानी नही होती
अपनी तो जिंदगी बीत गयी किसी के इंतेज़ार में
अब तो रोज ढूढ़ते है उनको सुबह के अखबार में
उनकी खबर कब छपेगी कब वो मुझे बुलाएगी
मुझे है जिसका इंतज़ार वो कब यहाँ आयेगी ?
अपना तो सपना था कि हम होंगे,जमाना होगा
हर तरफ बस अपने मोहब्बत का फसाना होगा
बिखर गये सपने जिंदगी हुई बंजर खेत की तरह
फिसल गया वक़्त, मुट्ठी में फँसे रेत की तरह
बस सोचता ही रहा वो कब नजरें मिलायेगी
मुझे है जिसका इंतेज़ार वो कब यहाँ आयेगी ?
पत्थर दिल वालो का कलेजा तो सर्द होता है
मैं तो अभी जिंदा हूँ, मेरे सीने में दर्द होता है
सही है, पत्थर से दिल लगाना अच्छा नही होता
किसी दिलजले को जलाना अच्छा नही होता
उनकी यादें अब मुझे जिंदगी भर रुलायेगी
मुझे है जिसका इंतेज़ार वो कब यहाँ आयेगी ?
जहाँ लोग कसमे खाते हैं वहाँ एतवार नही होता
जहाँ शको-सुबहा होता है वहाँ प्यार नही होता
उम्मीद अबभी कायम है कि इश्क केफूल खिलेगें
मेरी चाहतों को कभी तो कोई मुकाम मिलेंगें
कभी तो अपनी बेवफ़ाई को याद कर पछताएगी
मुझे है जिसका इंतेज़ार वो कब यहाँ आएगी ?
किशोरी रमण
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Very very nice....
वाह, बहुत सुंदर रचना।