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Writer's pictureKishori Raman

शहीदों के मजारों पर....


पटना में बिहार विधान मंडल भवन के सामने आपने एक स्मारक देखी होगी जिसमें सात मूर्तियां है और आगे वाले मूर्ति के हाथ मे तिरंगा है। यह उन सात शहीद छात्रों का स्मारक है जो 11 अगस्त सन 1942 को पटना सचिवालय पर झंडा फहराते हुए शहीद हुए थे। आज हम सब आजादी की 75 वी सालगिरह को अमृत- महोत्सव के रूप में मना रहे हैं। इस आजादी को हासिल करने के लिए हमारे पुरखों ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। हमारे अनगिनत वीर शहीद हुए थे तथा कितनो ने फांसी के फंदे को खुशी-खुशी गले लगाया था। देश के स्वतंत्रता आंदोलन में बिहार का महती योगदान रहा है। चाहे वह सन 1857 की क्रांति हो या गाँधी जी का चंपारण सत्याग्रह या सन 1942 का अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन हो या उसके बाद का आंदोलन, बिहार के लोगों ने उस में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और अपने देश को अंग्रेजो की गुलामी से आजाद कराया था। आज बात करते हैं सन 1942 के अगस्त क्रांति या अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की। आज ही के दिन यानी 11 अगस्त 1942 को क्रांतिकारियों के दमन से छुब्ध हो पटना और इसके आसपास के स्कूलों, कॉलेज के छात्रों ने विशाल प्रदर्शन किया। अपने नेताओं की गिरफ्तारी एवं लाठी चार्ज से दुखी विद्यार्थियों का हुजूम पटना के सचिवालय की ओर बढ़ा। सचिवालय के गेट पर छात्रों की भीड़ को रोकने के लिए पहले उन पर निर्दयता- पूर्वक लाठीचार्ज किया गया जिसमें अनेक छात्र बूरी तरह घायल हुए। फिर भी छात्रों का हुजूम रुका नहीं बल्कि सचिवालय की तरह बढ़ता ही रहा। उन्हें रोकने के लिए पहले से सचिवालय गेट पर तैनात बंदूकधारी सिपाहियों ने छात्रों पर गोली चलानी शुरू कर दी। तिरंगा हाथ मे लिए पटना मिलर हाई स्कूल का 14 वर्ष का छात्र देवीपद चौधरी सबसे पहले शहीद हुए। उनके गोली खाकर गिरने से पहले ही झंडे को संभाला पुनपुन हाई स्कूल के छात्र राम गोविंद सिंह ने। उनके शहीद होने पर तिरंगे को संभाला राम मोहन रॉय सेमिनरी स्कूल के रामानंद सिंह ने और शाहिद हुए। उसके बाद पटना हाई स्कूल गर्दनीबाग के छात्र राजेन्द्र सिंह ने झंडे को संभाला और शहीद हुए। फिर झंडे को संभाला जगपती कुमार जो बी. एन. कॉलेज के छात्र थे और वो भी गोली लगने से शहीद हो गए। उसके बाद सतीश प्रसाद झा जो पटना कॉलेजिएट के छात्र थे झंडा फहराने के क्रम में शहीद हो गये।और अंत में शहीद हुए राम मोहन रॉय सेमिनरी पटना के छात्र उमाकांत, पर उन्होंने गोली लगने और शहीद होने से पहले झंडे को सचिवालय के गेट पर फहरा दिया। इस तरह से छात्रों ने अपनी कुर्बानी देकर अपने तिरंगे को आन बान और शान के साथ सचिवालय गेट पर फहराया। इन्ही शहीदों की याद में देश के आजाद होने पर बिहार विधान मंडल के सामने सन 1947 मे सप्त मूर्ति स्मारक या शहीद स्मारक बनवाया गया जो आज भी उन बीर छात्रों की विजय गाथा को देश के जन जन को सुनाता है। आज हम उन शहीद छात्रों को नमन करते है, उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि देते है और उन्हें विश्वास दिलाते है कि उनकी ये शहादत बेकार नही जायेगी। हम अपनी आजादी, अपने लोकतंत्र और अपने संविधान की हर हाल में रक्षा करेंगे। और अंत मे 19 दिसंबर 1927 को फैजाबाद जेल में फाँसी के फंदे को ख़ुशी ख़ुशी चूमने वाले शहीद अशफाक उल्लाह ख़ाँ की डायरी में दर्ज ये शेर आपसबो को सुनाना चाहता हूँ कि.. शहीदों के मजारों पर जूड़ेगें हर बरस मेले वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा। किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com




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3 Comments


Unknown member
Sep 08, 2022

Very nice...

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sah47730
sah47730
Aug 11, 2022

वाह! अति सुंदर व प्रेरणादायक इतिहास है स्हवतंत्रता संग्राम में बिहार के सपूतों के योगदान का । ११अगस्त की इस कुर्बानी ने स्वतंत्रता संग्राम में नया उफान ला दिया होगा। १४वर्ष तक के स्कूली छात्रों की गौरवमय कुर्बानी जैसी घटनाओं के फलस्वरुप ही तो हमारा देश आज इस स्थिति में आया है कि हम आजादी का अमृत महोत्सव मनाने जा रहे हैं। इन शहीदों को शत शत नमन और विनम्र श्रद्धांजलि।

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verma.vkv
verma.vkv
Aug 11, 2022

वाह, देश भक्ती की गाथा । आज़ादी के उन क्रांतिकारी वीरों को शत शत नमन।

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