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  • Writer's pictureKishori Raman

# शान्ति प्राप्ति के उपाय #


जब प्रातः काल दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर गौतम बुद्ध के सभी शिष्य एकत्र हो गए तो गौतम बुद्ध ने संदेश देना आरम्भ किया। उन्होंने कहा, आज मै तुम्हें एक ऐसे व्यक्ति की कथा सुनाता हूं जिसके पास सब कुछ होते हुए भी वह दुखी और अशांत था। गौतम बुद्ध ने कहना शुरू किया। किसी नगर में एक सेठ रहता था। उसके पास लाखों की संपत्ति थी। बड़ी सी हवेली और ढेर सारे नौकर चाकर थे। फिर भी सेठ के मन में शांति नहीं थी। उसे किसी ने बताया कि पास के नगर में एक साधु रहता है। वह लोगों को ऐसी सिद्धि प्राप्त करा देता है जिससे मनचाही वस्तु प्राप्त की जा सकती है। सेठ साधु के पास गया और उन्हें प्रणाम कर निवेदन किया। महाराज, मेरे पास धन की कमी नहीं है फिर भी मेरा मन अशान्त रहता है। आप कुछ ऐसा उपाय बता दीजिए कि मेरी अशांति दूर हो जाय। सेठ ने सोचा था,साधु बाबा उसे ताबीज देंगे या कोई और उपाय कर देंगे जिससे उसका मन हमेशा के लिए शांत हो जाएगा। पर साधु ने ऐसा कुछ भी नहीं किया बल्कि अगले दिन उसने सेठ को धूप में बैठा कर रखा और स्वयं अपनी कुटिया के अंदर छाया में चैन से बैठा रहा। गर्मी के दिन थे। गर्मी के कारण सेठ का बुरा हाल हो गया। उसको बहुत गुस्सा आया पर उसने किसी तरह अपने को शांत रखा। दूसरे दिन साधु ने कहा आज तुम्हें दिन भर खाना नहीं मिलेगा। भूख के मारे सेठ के पेट में चूहे दौड़ते रहे। अन्न का एक दाना भी उसके मुंह में नहीं गया। लेकिन उसने देखा कि साधु ने तरह-तरह के पकवान बड़े आनंद के साथ बैठकर उसी के सामने खाए। सेठ रात भर बहुत परेशान रहा। वह एक क्षण के लिए भी सो नहीं पाया। वो रात भर सोचता रहा कि साधु तो बड़ा स्वार्थी निकला। तीसरे दिन सुबह होते ही उसने अपना बिस्तर समेटा और वहां से जाने को हुआ। तभी साधु उसके सामने आकर खड़े हो गए और बोलो, सेठ क्या हुआ ? सेठ बोला - मैं यहां बड़ी आशा लेकर आपके पास आया था लेकिन मुझे यहां कुछ भी नहीं मिला। उल्टे मुझे ऐसी मुसीबतें उठानी पड़ी जो जीवन में मैंने कभी नहीं उठाई थी। इसलिए मैं यहां से जा रहा हूं। मैंने तुम्हें इतना कुछ दिया पर तूने कुछ भी नहीं लिया ? आश्चर्य के भाव से सेठ ने साधु की ओर देखते हुए बोला, आपने तो मुझे कुछ भी नहीं दिया। साधु ने कहा- सेठ, पहले दिन जब मैंने तुम्हें धूप में बैठा कर रखा और मैं स्वयं छाया में बैठे रहा, तब मैंने तुम्हें बताया कि मेरी छाया तेरे काम नहीं आ सकती थी। जब मेरी बात तेरी समझ में नहीं आई तो दूसरे दिन मैंने तुझे भूखा रखा और स्वयं अच्छी तरह खाना खाया। इससे तुम्हें समझाया कि मेरे खा लेने से तेरा पेट नहीं भर सकता। यह याद रख कि मेरी साधना से तुम्हें शान्ति नहीं मिलेगी। तुमने अपना धन अपनी मेहनत से कमाया है और शांति भी तुम्हें अपने पुरुषार्थ,साधना और अपने मेहनत से ही मिलेगी। अब सेठ की आंखें खुल गई। अब उसे अपनी मंजिल पर पहुंचने का रास्ता मिल गया था। साधु के प्रति आभार व्यक्त करता हुआ वह अपने घर को लौट गया। किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow, share and comments. Please follow the blog on social media. link are on contact us page. www.merirachnaye.com


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