आज की दुनिया में हममें से अधिकतर लोग असंतुष्ट हैं। उन्हें लगता है कि वही इस दुनिया में गरीब हैं। वही सबसे कमजोर है। उन्हें दूसरों के मुकाबले अपने आप में कमी लगती है और इसका दोष वे भगवान को देते हैं। इसी संदर्भ में एक छोटी सी कहानी प्रस्तुत है।
बहुत समय पहले की बात है। एक गाँव में धर्म-उपदेश देने के लिए गौतम बुद्ध पधारे थे। वे एक पेड़ की शीतल छाया में बैठे हुए थे। लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए गौतम बुद्ध के पास आते थे, उनसे परामर्श करते थे और समाधान पा नई उर्जा, नए उत्साह से वापस लौटते थे। गाँव के बाहर के रास्ते में एक गरीब आदमी बैठा यह सब देख रहा था। वह देख रहा था कि लोग दुखी चेहरा लेकर आते हैं और नई ऊर्जा के साथ खुशी और आनंद लेकर वापस लौटते हैं। गरीब ने सोचा, क्यों न मैं भी अपनी समस्या लेकर गौतम बुद्ध के पास जाऊँ ? वह गरीब व्यक्ति भी साहस करके गौतम बुद्ध के पास पहुँचा और प्रश्न किया कि भगवन मैं इतना गरीब क्यों हूँ ?
बुद्ध उसका प्रश्न सुन मुस्कुराए और बोले- वत्स, तुमने किसी को कुछ दिया ही नहीं इसलिए तुम गरीब हो। इतना सुनते ही वह व्यक्ति आश्चर्य से बोला- भगवन भला मेरे पास देने के लिए क्या है ? मुश्किल से तो मेरा घर चलता है। कभी-कभी तो मुझे भूखे ही सोना पड़ता है। मैं बहुत गरीब हूँ। भला मैं क्या किसी को दे सकता हूँ ?
गौतम बुद्ध शांत भाव से बोले - तुम्हारे पास एक चेहरा है, किसी को भी मुस्कुराहट दे सकते हो। तुम्हारे पास एक मुहँ है, किसी को भी प्रशंसा के शब्द दे सकते हो। तुम्हारे पास हाथ है, कभी भी किसी की मदद कर सकते हो। तुम्हारे पास ये तीन चीजें हैं तो तुम कैसे गरीब हो सकते हो ?
भगवान बुद्ध ने आगे कहा कि गरीबी का भाव तो मन में होता है। मन से यह भ्रम निकाल दो। लोगों को ये तीन चीजें देते जाओ, गरीबी अपने आप दूर हो जाएगी। यह सुनकर उस गरीब का चेहरा दमक उठा। उसके मन से गरीबी के कारण पैदा हुआ हीनता का भाव नष्ट हो गया। उसके प्रश्न का उत्तर उसे मिल गया था।
वर्तमान समय में हम भी उस गरीब व्यक्ति की तरह ही हैं। हमारे पास जितना है उससे हम संतुष्ट नहीं होते हैं और दूसरों को देख दुखी रहते हैं कि भगवान ने हमें इतना ही दिया है। परन्तु सच्चाई तो यही है कि भगवान ने जो आपको दिया है वही दूसरों को भी दिया है। बस जो आपके पास है उससे ही संतुष्ट होना सीख ले तो जिंदगी में कभी दुखी नही रहेंगे।
किशोरी रमण
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bahut hi sundar....
वाह, शिक्षाप्रद कहानी।
बहुत उम्दा सीख