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  • Writer's pictureKishori Raman

संत रविदास


संत शिरोमणि कवि रविदास जी की जयन्ती (माघ माह की पूर्णिमा ) पर उन्हें शत शत नमन। संत रविदास ने हमेशा जातिवाद को त्याग कर प्रेम से रहने और अपने कर्म को सादगी और सच्चे मन से करने की शिक्षा दी। उनमें धन और माया का मोह कभी नही रहा। श्रमण परंपरा के संत, समतामूलक और शोषण मुक्त समाज के पक्षधर थे। आईये, यहाँ हम उनके चंद दोहो पर गौर करें जो आज भी हम सबो के लिए मार्गदर्शन का काम करता है। 1) रविदास जन्म के कारनै होत न कोउ नीच नर को नीच करि डारि है ओछे करम की कीच 2) मन चंगा तो कठौती में गंगा 3) मन ही पूजा मन की धूप,मन ही सेऊ सहज स्वरूप 4) करम बंधन मे बन्ध रहियो, फल की न तजयो आस 5)कृस्न, करीम, राम, हरि राघव, जब लग एक न पेखा बेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नही देखा आज उनकी जयन्ती पर ये संकल्प ले कि जातिपाती से ऊपर उठकर आडम्बर और अंधविश्वास मुक्त सम्माज की स्थापना करेंगे जिसमे सादगी सच्चाई दया और करुणा ही सर्वोपरि होगा। मानवता ही सबसे बड़ा धर्म होगा। किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com

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