जो कोई भी केनरा बैंक तांत नगर शाखा में अपना योगदान देता,पहले ही दिन उसे शाखा से सम्बंधित जानकारियो से अलग तीन अतिआवश्यक जानकारियाँ दी जाती।
वे जानकारियाँ होती थी।
1) घड़ी पहन कर शाखा में नही आना है। अगर पहनना ही है तो सबसे कम कीमत वाली घड़ी पहने जिसे छीन जाने का आपको अफसोस न हो।
2) चाईबासा से तांत नगर आने, जाने के रास्ते मे कोई आपकी मोटरसाइकिल को रोके और दारू पीने के लिए पैसे माँगे तो उसका विरोध न करे। हो सके तो बीस पच्चीस रुपये देकर पीछा छुड़ा ले। अच्छा ये रहेगा कि पॉकेट में कम से कम नगदी रकम रखें। क्योंकि वे आपके पॉकेट की तलाशी भी ले सकते हैं।
3) रास्ते मे पड़ने वाले बरकुंडिया गाँव के गाय, कुत्ता और नदी से हमेशा सावधान रहें।
पिछले संस्मरण में मैंने बरकुंडिया नदी के बारे में बताया था। आज बरकुंडिया गाँव के कुत्ता और गाय की चर्चा कर रहा हूँ।
सड़क बरकुंडिया गाँव के ठीक बीच से गुजरती थी। वैसे तो जानवरों के कारण देहाती रास्तो से गुजरते समय कभी कभार दिक्कत होती ही है पर बरकुंडिया में सबसे ज्यादा दिक्कत एक कुत्ते और एक गाय के कारण होती थी।
वह कुत्ता सड़क के आस पास ही घूमता रहता। मोटर साइकिल की आवाज सुनकर वह बिना भोंके ही मोटरसाइकिल चलाने वाले पर छलाँग लगा देता। इस तरह वह कई मोटरसाइकिल वालो को घायल कर चुका था। कुत्ता चाहे कहीं भी रहे , मोटरसाइकिल की आवाज सुनते ही वह सड़क पर आ जाता। अगर मोटरसाइकिल वाला भागने की कोशिश करता, फिर तो उसे दौड़ा कर उसपर हमला करता।
उससे बचने के लिए हमे बताया गया था कि भागने की कोशिश न कर के ब्रेक लगाकर रूक जाना है फिर कुत्ते के आँख में आँख डाल कर देखना है। वह कुत्ता कुछ ही देर में वहाँ से चला जायेगा।
और उस गाँव मे एक गाय भी थी जिसे मोटरसाइकिल की आवज से चिढ़ थी। वह सड़क के आस पास घाँस चरती रहती और मोटर साइकल की आवाज़ सुन दौड़ पड़ती। ज्यदातर मौकों पर मोटरसाइकिल वाले अपनी स्पीड बढ़ा कर वहाँ से बच कर निकल जाते थे पर असावधान रहने पर कई मोटरसाइकिल वालो को वह टक्कर मार कर घायल कर चुकी थी।
मेरे शाखा में योगदान देने के बाद मेरे लिए एक नई राजदूत मोटरसाइकिल खरीदी गई थी। मैंने अभी मोटरसाइकिल चलाना सीखा ही था अतः चाईबासा से तांत नगर आने जाने में इसे चलाने के लिए अपने स्टाफ मुखी जी को देता था जो चलाने में एक्सपर्ट थे। मैं मुखी जी के पीछे बैठता था।
एक दिन हम लोग तांत नगर जा रहे थे। जब गाँव से गुजर रहे थे तो देखा कि मोटरसाइकिल की आवाज़ सुन कर एक गाय हम लोगों की तरफ दौड़ी चली आ रही है। मैंने मुखी जी को खतरे से आगाह करते हुए मोटर साइकिल की स्पीड बढ़ाने को कहा। मुखी जी स्पीड बढ़ा कर मोटरसाइकिल को भगाते कि ठीक सामने सड़क पर वह कुत्ता आ गया। और मुखी जी ने एक्सलेटर के बजाय ब्रेक ले लिया। गाड़ी वही कुत्ते के कुछ दूर पहले रूक गई। पीछे से गाय दौड़ती हुई हमे टक्कर मारने के लिए आ रही थी।
हमारी तो धड़कने बढ़ गईं। भागे की रुकें, समझ नही पा रहे थे। मुखी जी कुत्ते की आँखों मे आँखे डाल कर उसे घूर रहे थे और भगवान से प्रार्थना कर रहे थे कि कुत्ता वहाँ से जल्दी हटे। मैं बार बार पीछे घूम कर गाय को देख रहा था क्योंकि गाय की पहली टक्कर मुझे ही लगनी थी।
मोटरसाइकिल और गाय के बीच का फासला कम होते जा रहा था और हम दोनों की घबराहट बढ़ते जा रही थी। हम दोनों की हालत साँप छुछुन्दर वाली हो गई थी, रुके तो गाय मारे और भागें तो कुत्ता काटे।
गाय हमारे बहुत नजदीक आ गई थी और मैं मोटर साइकिल से कूद कर भागने वाला ही था कि मुखी जी ने बिजली की तेजी से गेयर चेंज कर एक्सलेटर दिया औऱ मोटरसाइकिल तेजी से आगे बढ़ी। चूंकि मैं तैयार नही था अतः गिरते गिरते बचा।
असल मे सामने से एक मोटरसाइकिल वाला आ रहा था। कुत्ता हमारे सामने से उठ कर उस मोटरसाइकिल वाले की तरफ लपका और मुखी जी को भागने का अवसर मिल गया और उन्होंने अपनी मोटरसाइकिल को भगा लिया। चूंकि मेरा ध्यान अपने पीछे आने वाली गाय की तरफ था जो बस हमे टक्कर मारने ही वाली थी अतः मैं असावधान था, और एकाबेक गाड़ी की स्पीड बढ़ने से गिरते गिरते बचा।
और तब हम दोनों की जान में जान आई। हमारी मोटरसाइकिल आगे भागी जा रही थी और हम लोग भगवान को लाख लाख शुक्रिया अदा कर रहे थे।
तभी मुखी जी की आवाज सुनाई पड़ी। वह कह रहे थे कि हमलोगों को हमारे सीनियर्स ने कुत्ते के बारे में बताया था, गाय के बारे में बताया था, इनसे बचने के उपाय बताए थे पर ये नही बताया था कि जब कुत्ता और गाय दोनो एक साथ आ जाये तो क्या करना चाहिए।
मैंने कहा, अब तो पता चल गया न।
क्या ? मुखी जी ने पूछा।
भगवान को याद करना चाहिए, मेरा जबाब था।
किशोरी रमण।
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सुन्दर व रोमांचक संस्मरण।
Bahut hi sundar....
सुंदर संस्मरण, पढ़ कर मजा आ गया।