
ज़िन्दगी के इस मोड़ पे जब नज़रें घुमाता है
जहाँ से वो चला था, खुद को वहीं पाता है
फिर ताउम्र रहा वो इतना परेशान क्यो ?
जिन्दगी के पहेली को समझ नही पाता है
यहाँ तो छल-कपट का बस खेल होता है
स्वार्थ के लिये ही आपस मे मेल होता है
लोग यहाँ रिश्ते निभाते नहीं सिर्फ ढोते हैं
अब ज़िन्दगी जन्नत नही बस जेल होता है
अब भला तुमको क्या क्या बताये वो?
अपना दुखड़ा किससे, कैसे सुनाये वो?
शको-शुबहा में खत्म हो गई ये जिंदगी
अपना सीना चीर के कैसे दिखाये वो ?
अब बैठे बैठे ही वह कहीं भी सो जाता है
किसी के सपनो में अब भी खो जाता है
याद आती है जब उसे किसी की बेवफाई
तब हँस कर किसी और का हो जाता है
किसी के कहने पर अब भी बिश्वास करता है
और खुद के भरोसे का ही उपहास करता है
उसे अब भी है जुगनुओं से रौशनी की उम्मीद
वह झूठ के बाज़ार में सच की तलाश करता है
किशोरी रमण
BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE
If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments.
Please follow the blog on social media.link are on contact us page.
www.merirachnaye.com
Very nice....
बहुत सुन्दर रचना |
Beautiful...