एक बार की बात है कि कुछ बच्चे एक मैदान में खेल रहे थे। खेलते खेलते ही अचानक उन सभी मे ये बहस छिड़ गई कि कौन उन सर्बो में बेहतर है। हर बच्चा अपने को औरों से बेहतर साबित करने में लगा था। तभी वहाँ से एक बुज़ुर्ग ब्यक्ति गुजरे। उन्होंने आपसी विवाद का कारण पूछा। फिर उन्होंने सभी बच्चो को पास बुलाया।मैदान में लगे एक चिकने और ऊँचे खंभे की तरफ इशारा करते हुए कहा। जो भी उस खंभे पर सबसे पहले चढ़ पायेगा वही सबसे बेहतर माना जायेगा।
सभी बच्चे उस खंभे के पास पहुँचे। उस गाँव के बहुत सारे लोग भी इस अद्भुत प्रतियोगिता को देखने के लिए जमा हो गए। सभी बच्चे उस चिकने खंभे पर चढ़ने का प्रयास करने लगे पर कोई भी उस पर नही चढ़ पा रहा था क्यो की वह खंभा था ही इतना चिकना। मैदान के बाहर खड़े लोग चिल्ला चिल्ला कर कह रहे थे कि ये बहुत ही मुश्किल है और इस पर चढ़ना तुम लोगो के बस की बात नही है।
गाँव वालों की ये बाते सुनकर कुछ बच्चो ने तो उसी समय हार मान ली और प्रतियोगिता से बाहर हो गए। लेकिन कुछ बच्चे अभी भी कोशिश कर रहे थे। वो ऊपर जाते और फिर फिसलकर नीचे आ जाते। बाहर खड़े लोग चिल्ला रहे थे और कह रहे थे कि तुम लोग बेकार ही प्रयास कर रहे हो। यह बहुत मुश्किल काम है। ये सब सुनकर बाकी बच्चे भी हतोत्साहित हो जाते है। वे भी मान लेते है कि यह काम बहुत मुश्किल है। सभी बच्चे उस खंभे पर चढ़ने के प्रयास छोड़ चुके होते हैं। पर एक बच्चा अभी भी अपना प्रयास जारी रखता है। वह बार बार उस खंभे को उछल कर पकड़ता और नीचे गिर जाता। कुछ देर के प्रयास के बाद उसकी मेहनत रंग लाती है और वह खंभे के ऊपर पहुँच जाता है। सभी बच्चे उसको घेर लेते है और पूछने लगते है कि तुमने ये कैसे किया ? वह बच्चा कुछ भी नही बोलता है बस चुपचाप खड़ा रहता है। तभी पीछे से बुज़ुर्ग ब्यक्ति की आवाज आती है। वे कहते है कि उससे क्या पूछ रहे हो ? उसे तो कुछ सुनाई ही नही देता है। वह तो बहरा है। और चुकी वह बहरा है अतः बाहर से आने वाली नकारात्मक बातों को सुन कर हतोत्साहित नही हुआ और इसी लिए सफल रहा।
इस कहानी का सार यही है कि अक्सर हमारे अंदर अपना लक्ष्य प्राप्त करने की काबिलियत होती है। लेकिन हम अपने चारों तरफ मौजूद नकारात्मकता के कारण खुद को कम आंक बैठते हैं। यानी हमारे चारों तरफ बहुत से ऐसे लोग होते है जो हमे पकड़कर पीछे खींचते रहते है। वे हमे ये भी बताते रहते है कि यह काम करना असंभव है और हम उनकी बातों में आकर उस काम को करना छोड़ देते है।
अगर आपको बिश्वास है कि आप वह काम कर सकते है तो आपको उस बच्चे की तरह बहरा बनना होगा। अपने कानों के अंदर सिर्फ वही आवाज जाने दे जो आपको सफल होने में मदद करे। हर नकारात्मक आवाज़ के लिए अपने कान के दरवाजे बंद कर लें। अगर आपने ऐसा किया तो आपको सफल होने से कोई नही रोक सकता।
किशोरी रमण
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very nice.....
वाह! बहुत ही रोचक और आम रूप से दिखने वाली परिस्थिति से प्राप्त प्रेरक तथ्य ।
Very nice 👌......
बहुत सुन्दर और प्रेरणादायक कहानी |