आज के इस भाग दौड़ भारी जिन्दगी में हममें से अधिकांश लोग किसी न किसी समस्या से परेशान रहते है। वे समस्या का समाधान ढूढ़ने का प्रयास भी करते हैं पर उन्हें लगता है कि वे समस्या को सुलझाने का जितना भी प्रयास करते है, समस्या और भी उलझती जाती है । फिर वे थक हार कर प्रयास छोड़ देते है औऱ इसके लिये अपने किश्मत को दोष देते हैं।
सवाल है कि हम समस्या को सुलझाने मे अक्सर असफ़ल क्यो होते है ? जबाब है कि हम असफ़ल इस लिये होते है कि हम समस्या के कारण जाने बिना समाधान खोजने का प्रयास करते है। भगवान बुद्ध ने कहा है कि यदि हमें अपने जीवन मे समस्याओं का समाधान चाहिए तो पहले समस्या के कारण को पहचानना होगा,समाधान अपने आप निकल जयेगा। इस सम्बंध में भगवान बुद्ध की एक कथा का जिक्र प्रासंगिक है।
एक दिन महात्मा बुद्ध जब अपने शिष्यों को प्रबचन देने पहुंचे तो शिष्यों ने देखा कि उनके हाँथ में रस्सी है। वे बिना कुछ बोले रस्सी में गाँठ लगाने लगे। वहाँ उपस्थित सारे शिष्य यह सोच रहे थे कि भगवान बुद्ध इस रस्सी के माध्यम से क्या सिखलाना चाह रहे है ? तभी बुद्ध ने सभी से प्रश्न किया- मैंने इस रस्सी में तीन गाँठे लगा दी है , अब मैं आपसे पूछता हूँ कि क्या यह वही रस्सी है जो गाँठ लगाने के पहले थी।
इसपर एक शिष्य ने हाँथ जोड़ कर कहा, इसका उत्तर देना कठिन है। वास्तव में यह हमारे देखने पर निर्भर करता है। एक तरफ से देखें तो यह वही रस्सी है पर दूसरे नजरिये से देखे तो अब इसमें तीन गाँठे पड़ चुकी है अतः यह बदला हुआ नजर आता है। पर यह भी ध्यान देने वाली बात है कि बाहर से देखने मे भले ही यह बदला हुआ प्रतीत हो पर अंदर से तो यह वही है जो पहले थी। यानी इसका बुनियादी स्वरूप अभी भी वही है
सत्य है, भगवान बुद्ध ने कहा और वे रस्सी के दोनों छोरो को एक दूसरे से दूर खींचने लगे फिर शिष्यो से पूछा- आपको क्या लगता है, रस्सी को हम इस तरह से खींच कर गाँठो को खोल सकते है ? एक शिष्य ने जवाब दिया , नहीं... नहीं, ऐसा करने से तो ये और ज्यादा कस जायेगी, और फिर इसे खोलना और भी मुश्किल हो जायेगा। भगवान बुद्ध ने कहा , ठीक है, अब आखरी प्रश्न ...हमे इन गाँठो को खोलने के लिये क्या करना चाहिए ? एक शिष्य बोला, इसे ठीक करने के लिये तो हमे इन गाँठो को ठीक से देखना होगा ताकि हम जान सके कि इन्हें कैसे लगाया गया है और फिर इन्हें खोलने का प्रयास करना चाहिए। मैं यही तो सुनना चाहता था, बुद्ध ने मुस्कुराते हुए कहा । मुख्य प्रश्न तो यही है कि जिस समस्या में तुम फसें हुए हो उसका बिना कारण जाने उस समस्या का पूर्ण निवारण असंभव है। में देखता हूँ कि अधिकतर लोग बिना कारण जाने निवारण करना चाहते हैं। कोई मुझसे ये नही पूछता है कि मुझे क्रोध क्यो आता है, लोग ये पूछते हैं कि मै अपने क्रोध का अंत कैसे करूँ? कोई ये प्रश्न नही करता कि मेरे अंदर अहंकार आया कहाँ से ? लोग तो यही पूछते है कि मैं अहंकार और अपने अंदर के घमंड को कैसे खत्म करूँ ?
जिस प्रकार रस्सी में गाँठ लग जाने पर उसका बुनियादी स्वरूप नही बदलता उसी प्रकार मनुष्य मे भी कुछ कमियाँ आ जाने पर उसके अंदर का बीज कभी खत्म नही होता। जैसे रस्सी के गाँठ लगने का तरीका पता चलने पर रस्सी की गाँठ को खोल सकते हैं उसी प्रकार समस्या का करण पता चलने पर मनुष्य उस समस्या को हल कर सकते हैं। जब तक जीवन है तब तक समस्यायें भी रहेगी और अगर समस्यायें हैं तो उनका समाधान भी अवश्य ही होगा। बस जरूरत है हमें उस समस्या के कारण तक जाने की। यदि हम समस्या के कारण को अच्छे से जान लेते हैं तो हमे उस समस्या का समाधान भी अवश्य मिल जायेगा।
तो भगवान बुद्ध के इस उपदेश से ये शिक्षा मिलती है कि हमे अपने जीवन मे समस्याओं का समाधान चाहिए तो पहले अपने समस्या के कारण को पहचानना होगा , समाधान अपने आप मिल जायेगा।
किशोरी रमण।
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Atti Uttam....
बहुत सुंदर टिप्स । भगवान बुद्ध के विचार की सुंदर प्रस्तुति।