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  • Writer's pictureKishori Raman

" सवाल पूछता है ? "



वो खुले आकाश के नीचे, फुटपाथ पर सोता है

कभी देश के हालात तो कभी खुद पे रोता है

आज भय भूख और भ्रष्टाचार से बेहाल आदमी

उसके हिस्से का विकास कहाँ है,सवाल पूछता है


पुरखों ने आजादी की लड़ाई में बलिदान दिया है

प्रदर्शनों में कितनो ने लाठियाँ खाई,जान दिया है

आजादी के अमृत कोहड़प लिया चंद अमीरों ने

गरीबोंने अपने पसीनेसे राष्ट्र का निर्माण किया है


आज गरीब कैसे माने कि मुल्क अब आजाद है

देश मे सबके लिए एक ही क़ानून का राज है

जहाँ न्याय पैसों और पैरवी से खरीदी जाती हो

वह कैसे कहे कि उसेअपने लोकतंत्र पर नाज है


आज इन गरीबो के लिए रोटी और घर नही है

अस्पताल में कहीं दवा तो कहीं बिस्तर नही है

ऊँच-नीच और भेद-भाव का सर्वत्र बोलबाला है

अंधेरों में रहने वालों के लिए कहाँ उजाला है ?


देश भक्ति तो गरीबों के रग-रग में बसी है

हाँ, देशभक्ति के नारों पर इनकी पकड़ नही है

ये सब चाहते है कि फहरायें अपना तिरंगा

पर कहाँ ? इनके पास तो कोई घर नही है



किशोरी रमण

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