हम खुद बदले तो जग बदलेगा
- Kishori Raman
- Oct 6, 2021
- 2 min read

अक्सर ही किसी मीटिंग या अन्य आयोजनो में यह देखने को मिलता है कि लोग दूसरों से शान्त हो जाने कीअपील करते हैं लेकिन शोर गुल और बढ़ता ही जाता है। अगर हर आदमी दुसरो को शान्त कराने के बजाय खुद शान्त हो जाय तो शोर गुल मिनटो में ही थम जाएगा और सब तरफ शान्ति हो जाएगी।
ठीक वैसे ही हम, समाज मे बढ़ती हिंसा, भ्रष्टाचार, मानव मूल्यों के अवमूल्यन एवं रिश्तों के बिखराव की बात करते हैं और इसके लिये दूसरो को दोष देते हैं। यहाँ हर आदमी दूसरे को सुधर जाने की सलाह देता है पर खुद के अन्दर झाँक कर कभी नहीं देखता है।
असल मे दूसरों में बदलाव लाने के प्रयास करने के पहले खुद में वे बदलाव लाने के लिये हमें तैयार होना होगा जो हम दूसरों में देखना चाहते हैं। जब हमारे अन्दर बदलाव होगा तभी हमारे बाहर भी बदलाव दिखेगा। हमारे लिये कोई दूसरा सुख और शान्ति नही ला सकता बल्कि हमे ख़ुद अपने सुख और शान्ति के लिये प्रयास करने होंगें। दूसरो पर दोषारोपण करने में अपनी ऊर्जा बर्बाद करने के बजाय हमे अपने जीवन को बेहतर बनाने के बारे में सोचना होगा। हमारे समर्पण और सकारात्मक विश्वासों से ही हमे सभी अच्छी चीजें प्राप्त होंगी।
अक्सर ही ये कहावत भी हमे सुनने को मिलती है कि जैसा करोगे वैसा भरोगे। यानी हम जो भी काम करते है, अच्छा या बुरा उसका फल भी हमे वैसा ही मिलता है। यदि हम दूसरों की मदद कर रहे है या दूसरों को चोट पहुचाँ रहे हैं तो यह हम वास्तव में अपने साथ ही कर रहे होते हैं। क्षमा भी कुछ ऐसा ही होता है जो आप अपने लिए , अपनी शान्ति के लिये करते हैं। हमे हमेशा ही ध्यान देना चाहिए कि ईर्ष्या, घृणा , क्रोध जैसे अवगुण हमारे मन मे प्रवेश न करे। यही अवगुण हमारे अन्दर प्रवेश करते हैं तो हमारे पतन का कारण बनते हैं। लेकिन जब हम सभी के लिए क्षमाशील होते है तो यह हमारे दिल और हमारे ऊर्जा को स्वच्छ करता है और ख़ुद के लिए तथा अन्य के लिए भी अनन्द और सकारात्मकता फैलाता है। अपने देश और आसपास के लोगों के प्रति प्रेम का भाव रखें और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का भाव रखें तो हम और हमारा देश दोनों सुखी और खुशहाल बनेगा।
किशोरी रमण।
BE HAPPY.....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE। If you enjoyed this post, please like , follow, share and comments.
Please follow the blog on social media. link are on contact us page.
www.merirachnaye.com
bahut hi sundar....
सुन्दर विचार ! हर ब्यक्ति एक इकाई है, ब्यक्ति ब्यक्ति से संसार बना है। हर ब्यक्ति बदल जाए यानि किसी को दूसरे को नहीं बदलना है। सिर्फ अपने आप में बदलाव लाना है,जो बेहद आसान है।
:-- मोहन"मधुर"
बहुत सुंदर विचार ।दूसरों को बदलने के पहले खुद को बदलना ज़रूरी है ।