मुसीबत के समय या बिपरीत परिस्थितियों में अक्सर ही हम हिम्मत हार जाते हैं। फिर निराश हो या तो अपनी किस्मत को कोसते है या इसका ठीकरा किसी और के सिर फोड़ते हैं। पर जो बहादूर होते हैं वे किसी भी परिस्थिति में अपने मनोबल और विश्वास को टूटने नही देते हैं। वे उन विकट परिस्थितियों का मुकाबला करते हैं और अंततः जीत उन्हीं की होती है।
इन्ही विचारों से सम्बंधित बचपन मे एक कहानी सुनी थी जिसे यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ।
बहुत पुरानी बात है। एक बड़ा व्यापारी पूरे कारवाँ के साथ दूसरे देश में अपना सामान बेचने जा रहा था। कुछ ही दिनों की यात्रा के बाद वे वहां पहुंच गए जहां से आगे घनघोर एवं भयानक रेगिस्तान शुरू होता था। व्यापारी और उसके कारवाँ के लोगों ने वहां आसपास रहने वालों से उस रेगिस्तान के बारे में पूछा। पूछने पर पता चला कि दिन के समय यहाँ तो रेत जलते कोयले जैसा गर्म हो जाते हैं, इसलिए इस रेगिस्तान को दिन में पार करना असंभव है। यहाँ तक की गाड़ी और ऊँटो पर बैठकर भी इसे दिन में पार नहीं किया जा सकता। यह सब जानकर कारवां के लीडर ने एक रेगिस्तानी गाइड की सेवा ली जो रात में तारों की स्थिति देखकर रास्ते का पता लगाता था और रात में ही रेगिस्तान को पार करने हेतु यात्रा करता था।
उस रेगिस्तानी गाइड की सलाह पर रात को जब रेत ठंडी हो गई तो यात्रा शुरू हुई। वे सब रात में रेगिस्तान में चलते और सुबह होते ही किसी उपयुक्त स्थान की तलाश कर वहां अपना तंबू लगा देते थे। वे दिन में विश्राम करते थे और रात होते ही अपनी यात्रा फिर से शुरू कर देते। ऐसा करते उनकी तीन राते गुजर गई और आज उनकी चौथी और आखिरी रात थी। क्योंकि गाँव वालों और उस रेगिस्तानी गाइड के हिसाब से उस रेगिस्तान को चार रातों में पास किया जा सकता था इसलिए आज सब खुश थे।वे सब अपना खाना खाकर रेत के ठंडी होने का इंतजार कर रहे थे। जब रेत ठंडी हो गई तो कारवाँ ने चलना शुरू किया। रात होते ही वह रेगिस्तानी गाइड जो आगे वाली गाड़ी को चला रहा था तारों की स्थिति देखकर अंदाजा लगा लिया कि बस कुछ ही घंटों में वे रेगिस्तान के दूसरी ओर पहुंच जाएंगे। चूकिं गाइड को लग गया था कि अब तो पहुंच ही जाएंगे अतः उसने एक छोटी सी नींद लेने की सोचीं। पर उस रात उसने कुछ ज्यादा ही खाना खा लिया था इसलिए वह गहरी नींद में सो गया। लेकिन उसकी गाड़ी को खींचने वाले ऊँट किसी भी आसमानी तारे को देखकर रास्ता पता नहीं कर सकते थे। उन्होंने धीरे धीरे एक तरफ मुड़ना शुरु कर दिया। वे सब एक बड़ा गोला बनाते हुए चलने लगे और फिर तो उनका रास्ता ही उल्टा हो गया। उसके पीछे पीछे सारे गाड़ी तब तक चलते रहे जब तक कि वे उस स्थान पर नहीं पहुंच गए जहां से उन्होंने उस रात को चलना शुरू किया था। लेकिन तब तक सुबह हो चुकी थी। जब लोगों की आंख खुली तो पाया कि उसी स्थान पर वापस पहुंच गये हैं जहाँ से रात में चले थे। यह देखकर कारवाँ के लोगों का दिल बैठ गया। वे अपनी इस परिस्थिति पर रोने लगे क्योंकि सबको पता था कि आज रेगिस्तान पार हो जाएगा इसलिए उनमें से किसी के पास भी पीने के लिए पानी नहीं बचा था। वे सब इसी बात से डरे हुए थे की कहीं प्यास की वजह से उनकी मौत न हो जाए। कारवाँ के सारे लोग अपने सरदार और कारवाँ के रेगिस्तानी गाइड को इसके लिए जिम्मेदार ठहराने लगे। सरदार से कहने लगे कि अब पानी के बिना हमारा मरना निश्चित है। यह सोचकर कारवाँ के लोग दुखी होकर रोने लगे। इसपर सरदार ने सोचा कि इस विपरीत परिस्थिति में अगर मैं अपना हिम्मत हार जाता हूं तो मेरे लिए मेरी लीडरशिप का कोई मतलब नहीं है। मैं सरदार कहलाने के लायक नहीं हूँ। अगर मैं इस परिस्थिति में रोने बैठ जाता हूँ या अपनी किस्मत को कोसने लगता हूँ और कुछ नहीं करता तो हमारे सारे कीमती सामान, सारे जानवर मेरे लोग और यहां तक कि खुद मैं सब खत्म हो जाएगा। मुझे इस परिस्थिति में हिम्मत नहीं हारना है और इस मुसीबत का डटकर सामना करना है।
यह सोचकर वह वही आगे पीछे घूमने लगता है और तरीके सोचने लगता है। कैसे सब की जान बचाई जाए। इस समय वह बिल्कुल चौकन्ना था और उसका दिमाग तेजी से काम कर रहा था। तभी उसे कुछ दूरी पर कुछ हरी घास के तिनके दिखे। उसने सोचा कि बिना पानी के कोई भी घास या पौधा इस गर्म रेगिस्तान में जिंदा नहीं रह सकता। उसने तुरंत ही अपने कारवाँ के सबसे ज्यादा मजबूत और जवान लोगों को बुलाकर उस जगह पर गड्ढा खोदने को कहा। कुछ देर खुदाई करने के बाद उन्हें बड़ा सा पत्थर मिला। यह देखकर उन लोगों ने गड्ढा खोदना बंद कर दिया और कारवाँ के सरदार पर चिल्लाने लगे कि तुमने हमारी मेहनत और ऊर्जा बर्वाद करवा दी। यहाँ कुछ पानी वगैरह नहीं है। हम सब अपना समय और ऊर्जा बर्बाद कर रहे हैं। यह सुनकर कारवाँ के सरदार ने उत्तर दिया , अगर हमने प्रयास करना छोड़ दिया तो सब मारे जाएंगे। सरदार उस खोदे गये गढ़े में उतर गया और अपना कान पत्थर पर लगा दिया।
और तभी उसे पत्थर के नीचे से पानी के बहने की आवाज सुनाई देती है। उसने तुरंत उन लोगों को बुलाया जो खुदाई कर रहे थे। उनसे कहा अगर तुम लोग हार मान गए तो हम सब मारे जाएंगे। यह हथौड़ा लो और पत्थर को तोड़ो। उन में से सबसे बहादुर और बलवान नौजवान ने हथौड़ा उठाया और उस पत्थर पर दे मारा। सब लोग यह देखकर आश्चर्य चकित रह गए कि पत्थर के टूटते ही वहाँ से पानी का फव्वारा निकल आया। सभी लोग खुशी से झूम उठे। सभी ने पानी पिया,अपने पशुओं को पिलाया और खाना भी बनाया।
जब वहाँ से वे लोग चलने लगे तो उन्होंने उस स्थान को घेर दिया और एक निशानी बना दी। उस पर यह संकेत बना दिया कि यहां पर पानी का झील है ताकि वहां से गुजरने वाले लोग दूर से ही उस स्थान को पहचान सके। और इसके बाद वे लोग रेगिस्तान के बाहर सुरक्षित पहुंच गए। इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि हमें जल्दी हार नहीं माननी चाहिए और तब तक प्रयास करना चाहिए जब तक कि हमें लक्ष्य हासिल न हो जाए।
किशोरी रमण
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4 Comments
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Nice.....
अति सुन्दर व शिक्षाप्रद कहानी।
बहुत सही बात।
Bahut hi Sundar.....