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  • Writer's pictureKishori Raman

*एक साँवली सी लड़की - राम्या*- भाग -३


खैर , दुसरे दिन शाम को चार बजे तैयार हो गया / नया शर्ट पेंट, बाल मूंछे अच्छे से सेट करवाया था / मिसेज़ ने मजाक में कहा …अरे आज तो बड़े सज -संवर रहे हो ..क्या किसी लड़की से मिलने जाना है क्या ? मेरा कलेजा धक् से कर गया / इसे कैसे मालूम ? नहीं नहीं ..यह मज़ाक कर रही है /मैंने मन ही मन अपने को समझाया / पर उसके चेहरे की कुटिल मुस्कान देख कर थोड़ी हडबडाहट भी होने लगी / इसे कुछ मालूम तो नहीं ? खैर ..आधा घंटा पहले ही वहाँ पहुँच कर उसका इंतज़ार करने लगा / समय काटे नहीं कट रहे थे / कैसी दिखती होगी वो ? क्या बात करेंगे ? सोच कर घबराहट हो रही थी , मानो कोई चोरी करने जा रहा हूँ / पांच बज गए …साढ़े पांच बज गए पर वह नहीं आई / मैंने इधर से कॉल लगाया पर हमेशा की तरह स्विच ऑफ का मेसेज आ रहा था / मैं दुखी मन से घर लौट गया / तीन चार दिन बाद फिर उसका फ़ोन आया / मैंने गुस्से में कहा …हेल्लो ./.. मैं जानती हूँ तुम बहुत नाराज़ हो …आई ऍम सॉरी बाबा, कान पकड़ कर माफ़ी मांगती हूँ , वह बोले जा रही थी पर मैं खामोश ही रहा / मैं क्यों नहीं आई ..नहीं पूछोगे ? मेरी मज़बूरी तो समझो / उस दिन मैं तैयार हो कर घर से निकल चुकी थी पर तभी मेरे पतिदेव का फ़ोन आ गया …उनकी तबियत थोड़ी खराब हो गई थी / अतः अपने घर आने की सुचना दे रहे थे / अब तुम्ही बताओ ? मैं कैसे आती ? मेरा गुस्सा ठंडा हो गया था / मैंने बुझे मन से कहा …कोई बात नहीं , फिर कभी … बस, अगले सन्डे को मिलते है ..ठीक उसी जगह, इस बार मिस नहीं करुँगी ..प्रोमिस .. ठीक है , मैंने कहा / अगले सन्डे को मैं तैयार हो रहा था कि उसका फ़ोन आ गया / पूछ रही थी …आ रहे है ना ? हाँ हाँ, मैं तो आ रहा हूँ …पर इस बार तुम मिस नहीं करना / नहीं करुँगी बाबा…उसने हँसते हुए कहा / मैं जब घर से निकल रहा था तो मिसेस ने फिर टोक दिया / देखो जी ..मुझे तो आप के रंग ढंग ठीक नहीं लग रहे है / पुरे सज-सवंर कर जा रहे हो / किसी लड़की से मिलना है क्या ? मैं सहम गया / मन में चोर था ही ..सोचा इसे कैसे मालूम ? फिर सोचा, बस अँधेरे में तीर चला रही है और मैं घर से निकल गया / इस बार भी पहले की तरह उसके बताये स्थान पर उसका इंतज़ार करता रहा /समय बीतते रहे पर वह नहीं आयी / मैं निराश हो गया ..सोचने लगा …कोई मुझे बेवकूफ तो नहीं बना रहा है ? तभी मैं चौक उठा ..एक अधेड़ लेकिन सुन्दर सी औरत मेरे पास खड़ी थी / हेल्लो, आप प्रशांत है न ? मैं हूँ राम्या .. उसने हाथ जोड़ कर प्रणाम किया / मैं अकबकाया ..यह मुझे कैसे पहचान गई ? बचपन में जिसने मुझे देखा है वह तो पहचान ही नहीं पायेगा / मैंने सोचा था पहले फ़ोन कर मेरा लोकेशन पूछेगी .. फिर मेरे ड्रेस का रंग पूछेगी / पर यह तो सीधे मेरे पास आ गई / एक और बात खटक रही थी / राम्या तो थोड़ी सांवली थी …यह तो गोरी है …राम्या ने कौन सा “फेयर एंड लवली” इस्तेमाल की है कि गोरी हो गई है ? मैंने अविश्वास भरी नज़रों से घूरते हुए पूछा …क्या तुम राम्या ही हो ? तभी मेरे पीछे से आवाज़ आई …नहीं ये मेरी बहन प्रीती है / मैंने पीछे मुड कर देखा तो चौक गया / काटो तो खून नहीं / पीछे मेरी पत्नी खड़ी थी / वह बोल रही थी,.यह मेरे मामा की लड़की है / पहले ये लोग दिल्ली में रहते थे / अभी इनके पति का ट्रान्सफर पटना हुआ है, तो ये लोग पटना आ गए है / बहुत दिनों से यह आपसे मिलवाने की जिद कर रही थी तो मैं इसे आप से मिलवाने लाई हूँ / पर.. राम्या,.. फ़ोन ….यह सब क्या चक्कर है ? ..मैंने आश्चर्य से पूछा / इस पर पत्नी बोली…तुम्हारे सारे चक्कर के बारे में मुझे पता चल चुका है / बड़े शरीफ बनते हो ..आज घर चलो , बताती हूँ / अरे अरे, जीजा जी / घबराइए नहीं ..मैं बताती हूँ सारी बात / मैं आपकी साली प्रीति हूँ और आप से बहुत दिनों से मिलना चाह रही थी / तो आज दीदी ने मिलवा दिया..बस ..वह मुस्कुरा रही थी / पर राम्या का क्या चक्कर है और उसके बारे में इतनी सारी बातें तुम कैसे जानती हो ? मैंने आश्चर्य से पूछा / अरे जीजी जी, ..वो तो आप के कॉलेज के दिनों की डायरी दीदी के हाथ लग गए थे … जब वह आप के पुराने बुक सेल्फ की सफाई कर रही थी / आप की डायरी पढ़ कर ही हमें सारी बातें मालूम हुई थी और हमलोगों ने प्लान बनाया आपको बेवकूफ बनाने का / …अब इतना तो हक़ बनता ही है साली का / वैसे सुनते है कि आप कहानी भी लिखते है …तो कैसी लगी हमारी कहानी ? ओफ ..तो ये बात है / दोनों ने मिलकर मुझे बेवकूफ बनाया है पर इस पर एक कहानी तो बन ही सकती है / क्यों दोस्तों …आप की क्या राय है ? कहानी तो ठीक बनी है न ?… (समाप्त ) किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE


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