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  • Writer's pictureKishori Raman

भगवान बुद्ध और अहिंसका सन्यासी



प्राचीन काल मे मगध नाम का एक बड़ा और सम्पन्न राज्य था। राज्य में सोनपुर नाम का एक गाँव था जहां के लोग अपना सारा काम दिन में किया करते थे। लेकिन रात होते ही गाँव वाले अपने अपने घरों के अंदर बंद हो जाते थे। कोई भी रात के समय अपने घर से बाहर नहीं निकलता था। उनके ऐसा करने का कारण उनके अंदर का खौफ था जिसके कारण वे रात के समय घर के बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे। उनके डर का कारण था अंगुलिमाल नाम का एक डाकू। वह बहुत ही खतरनाक था। वह मगध के जंगल में रहता था। जो भी राहगीर उस जंगल के रास्ते गुजरता वह उन लोगों को लूट कर मार देता था। वह लोगों के डर को बनाए रखने के लिए मरे हुए व्यक्ति की उंगलियाँ काट कर उस की माला बनाकर पहनता था जिस कारण उसे सब अंगुलिमाल कहते थे । एक दिन गौतम बुद्ध मगध से गुजर रहे थे। वहाँ के लोगों ने उन्हें देखा तो उनका बहुत आदर सत्कार किया। बातों के क्रम में बुद्ध ने यह महसूस किया कि वहाँ के लोग काफी चिंतित हैं। उन लोगों को इस तरह से परेशान देखकर उन सबों से पूछा कि आप सब इतने डरे हुए क्यों हैं ? वहाँ के लोगों ने बताया कि यहाँ एक अंगुलिमाल नाम का डाकू रहता है। वह लोगों को मार देता है उसके कारण लोग बेहद डरे हुए हैं। आप ही बताएं हम क्या करें ? यह सब सुनकर बुद्ध ने मन ही मन निश्चय किया कि उन्हें जंगल में जरूर जाना चाहिए। वह जंगल की तरफ जाने को तैयार हो गए। लोगों ने उन्हें वहाँ जाने से काफी रोका क्योंकि वहाँ जाना खतरे से खाली नहीं था। लेकिन बुद्ध अपने शांत स्वभाव से जंगल की ओर चल दिए। वह जंगल में चले जा रहे थे कि तभी उन्हें पीछे से एक आवाज सुनाई दी-- रुक जा, कहाँ जा रहा है ? बुद्ध ने आवाज सुनकर उसे जानबूझ कर अनदेखा कर दिया। इस पर पीछे से फिर जोर की आवाज आई -- मैं कहता हूँ, ठहर जा। बुद्ध रुक गए और पीछे मुड़कर देखा। एक काला खूंखार व्यक्ति वहाँ खड़ा था। लंबा चौड़ा उसका शरीर, लंबे लंबे बाल और एकदम काला रंग, बड़े बड़े नाखून, लाल-लाल आंखें और हाथ में तलवार लिए हुए एक व्यक्ति बुद्ध को घूर रहा था। उसके गले में अंगुलियों की माला लटक रही थी। वह एकदम भयानक लग रहा था। उसे देखकर बुद्ध ने एकदम विनम्रता से कहा - मैं तो रुक गया, तुम कब रुकोगे ? तुम अपनी यह हिंसा कब बंद करोगे ? जिस अंगुलिमाल को देखकर सब लोग डर के मारे कांपने लगते थे बुद्ध उसके सामने एकदम आराम से खड़े थे। अंगुलिमाल ने पूछा, ऐ सन्यासी तुम्हें डर नहीं लगता ? देखो मैंने कितने लोगों को मारकर उनकी उंगलियां पहन रखी है। बुद्ध ने कहा- डर, कौन सा डर ? कैसा डर ? डर तो उससे लगता है जो सच में ताकतवर होता है। अंगुलिमाल जोर जोर से हँसा और बोला- हे सन्यासी, तुम्हें क्या लगता है ? मैं ताकतवर नहीं हूँ ? मैं एक बार में दस लोगों के सिर काट सकता हूँ। इस पर बुद्ध ने कहा, मैं नहीं मानता कि तुम सबसे शक्तिशाली हो। यह सुनकर अंगुलिमाल जोर जोर से हँसने लगा और बोला, अच्छा अगर ऐसी बात है तो तुम ही बताओ मैं ऐसा क्या करूँ जिससे तुम मानोगे। बुद्ध ने कहा- ठीक है, फिर तुम जाओ और उस पेड़ में से दस पत्तियाँ तोड़ कर लाओ। अंगुलिमाल बोला- बस इतनी सी बात ? तुम बोलो तो मैं पूरा वृक्ष ही ले आऊं ? बुद्ध ने कहा नहीं, तुम बस दस पत्ते ही लाओ। बुद्ध के कहने पर अंगुलिमाल ने वही किया। वह पेड़ के पास चला गया और उससे दस पतियों को तोड़ कर ले आया। इसके बाद बुद्ध ने कहा, अब जाओ इन पंक्तियों को वापस पेड़ में जोड़ दो। यह सुनकर अंगुलिमाल क्रोधित हो गया और उसने बुद्ध से कहा। यह कैसा बेहूदा मजाक है ? भला कोई पत्तियों को तोड़कर वापस पेड़ में जोड़ सकता है ? तब बुद्ध ने कहा - क्यों ? तुम तो बेहद शक्तिशाली हो तो इसे जोड़ क्यों नहीं सकते ? जब तुम किसी चीज को जोड़ नहीं सकते तो उसे तोड़ने का हक तुम्हें किसने दिया ? एक आदमी का सिर जब जोड़ नहीं सकते तो उसे काटने में क्या बहादुरी है ? अगर तुम किसी को जीवन नहीं दे सकते तो तुम्हें उसे मारने का भी हक नहीं है। अंगुलिमाल यह सब सुनकर हैरान रह गया। उसे पहली बार एहसास हुआ कि उससे भी कोई बड़ा ताकतवर व्यक्ति है। वह बुद्ध की बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था। एक अजनबी शक्ति ने उसके ह्रदय को बदल दिया। उसे आत्मग्लानि होने लगी। वह बुद्ध के चरणों में गिर गया और उनसे माफी माँगने लगा। वह बोला हे बुद्ध, आप मुझे अपनी शरण में ले लीजिए। उसके बाद बुद्ध ने अंगुलिमाल को अपनी शरण में ले लिया और उसे अपना शिष्य बना लिया। उसके बाद अंगुलिमाल ने बुरे काम करना छोड़ दिया और ध्यान और सद्कर्मो में लीन हो गया। कालांतर में वह अहिंसका नामक सन्यासी के रूप में मशहूर हुआ। कोई भी इंसान चाहे वह कितना भी बुरा क्यो न हो वह बदल सकता है। अंगुलिमाल एक बुराई का प्रतीक है।जरूरत इस बात की है कि हम अपने अंदर की बुराइयों को पहचाने और उन्हें खत्म करें। किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com




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