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  • Writer's pictureKishori Raman

" मन को कैसे बदलें "


किसी मनुष्य को अगर कोई सही रास्ता दिखाने वाला मिल जाय तो वह मनुष्य भटकता नही बल्कि जीवन मे बहुत तरक्की करता है। एक बार की बात है कि एक युवा ब्यक्ति चोरी की नियत से अपने घर से निकला। रास्ते मे उसकी नजर उस स्थान पर पड़ी जहाँ भगवान बुद्ध बैठ कर साधना कर रहे थे। चोर ने हिम्मत कर के उनके वस्त्रों को जो वहीं पास पड़े थे उठाने का प्रयास किया पर वह उठा नही पाया। उसकी हिम्मत जबाब दे गई और वह वहाँ से जाने लगा। उसी वक्त गौतम बुद्ध की आंखें खुली और उन्होंने चोर से कहा। सुनो भाई, ये रहा वस्त्र, तुम इन्हें ले जाओ। बुद्ध की बातों को सुनकर वह चोर चौक गया और फिर पानी पानी होते हुये बोला- नही महाराज, मैं इन्हें नही लूँगा। मैं अपने जीवन का गुजारा चोरी से ही करता हूँ पर आज पता नही क्यों मुझे इसे चुराने का मन नही कर रहा है। कुछ देर चुप रहने के बाद वह बोला- महाराज, मैं आपसे कुछ सीखना चाहता हूँ। कृपया आप इस चोरी की बुरी लत छुड़ाने में मेरी मदद करें। यह सुनकर गौतम बुद्ध ने उसे अपने पास बुलाया और उसके सर पर अपना हाथ रख कर बोले-बेटे , तुम चोर नही हो। बस तुम्हारे मन ने तुम्हे अपने वश में कर लिया है। तुम अपने मन के गुलाम होकर हकीकत से दूर अपने मन के इशारे पर ये काम कर रहे हो। अब आज से तुम जो भी काम करो जागरूक हो कर करो। अपने दिल की सुनो और निडर होकर अपने जीवन को जियो। दो तीन दिन बीतने के बाद वह चोर दुबारा गौतम बुद्ध के पास आया और बोला- महाराज, जब से आपने कहा है कि कोई भी काम जागरुकता से करो तब से मैं चोरी नही कर पा रहा हूँ। मन तो करता है लेक़िन दिल कभी भी चोरी करने की बात को स्वीकार नही करता है। इस लिए आजकल मैं चोरी भी नही कर पा रहा हूँ। मैं अब मेहनत कर कमाना चाहता हूँ। कृपया आप मुझे अपना शिष्य बना कर यहाँ कुछ काम दे दीजिए। बुद्ध ने उसी समय उसे अपने पास रहने की आज्ञा दे दी। उन्होंने उसे अपने बगीचे में दस फल के पेड़ों की देखभाल करने की जिम्मेदारी सौंप दी। इसके बाद वह चोर बड़ी जागरूकता से उन पेड़ो की देखभाल करने लगा। इसका परिणाम ये हुआ कि अगली बार उन पेड़ो पर खूब सारे फल आये और काफी हरे भरे होने के कारण उनपर बहुत सारे पक्षियों ने अपना घोंसला बनाया। ये देख कर सभी हैरान हो गए और सोचने लगे कि ये सब भगवान बुद्ध के चमत्कार के कारण तो नही हुआ। लेकिन ऐसा बिलकुल भी नही था। गौतम बुद्ध ने उस ब्यक्ति के भीतर सिर्फ प्रकृति के भाव को जोड़ दिया था। जिसे उस युवक ने अपनी सजगता और जागरूकता से अपने आप को और पेड़ो को बेहतरीन बना दिया था। इस कहानी से हमे सीख मिलती है कि कोई भी काम करने से पहले मन के साथ साथ अपने दिल की भी सुननी चाहिए। गौतम बुद्ध द्वारा बताया गया शब्द जागरूकता हमारे दिल से निकलता है। गौतम बुद्ध ने ये भी बताई की उन्होंने उस ब्यक्ति को प्रकृति के भाव से जोड़ दिया था। इससे हमें ये सीख मिलती है कि हमे अपने आप को कभी भी प्रकृति से विचलित नही करना चाहिए बल्कि हरदम अपने आप को उससे जोड़े रखना चाहिए और उसे धन्यवाद भी देना चाहिए। हमे ये भी शिक्षा मिलती है कि अगर किसी को उचित मार्गदर्शन मिले तो वह बुराई को छोड़ कर अच्छाई के मार्ग को चुन लेता है। किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com


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