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  • Writer's pictureKishori Raman

" ये किसकी कहानी है। "


एक बार की बात है, एक सूफी फ़कीर यात्रा कर रहा था। अंधेरी रात थी। घटाटोप अंधेरा। कुछ भी दिखाई नही पड़ता था। अतः वह फकीर रास्ता भटक गया। उसे तो ये भी पता नही चल पा रहा था कि वह जा किस दिशा में रहा है। अचानक फ़कीर का पैर फिसला और वह एक खाई में गिर पड़ा। फ़कीर नही जानता था कि नीचे अंधेरे में क्या है या खाई कितनी गहरी है। उसने खाई में जाने से बचने के लिए बड़े प्रयत्न से एक पेड़ की डाल पकड़ ली और प्रार्थना करने लगा। सुनसान जंगल। वह रोया, चिल्लाया लेकिन वहां कोई सुनने वाला नहीं था। उसकी अपनी आवाज ही वापस आ जाती। रात इतनी ठंढी थी कि उसके हाथ जमते जा रहे थे। अब उसे लगने लगा कि उसकी मृत्यु निकट है। किसी भी क्षण वह गिरेगा और उसकी मृत्यु हो जायेगी। और वह आखरी क्षण आ ही गया जिसका डर था। उसके हाथ से डाली फिसल गई और वह गिर गया। लेकिन जैसे ही वह गिरा वह चौंक गया। उसमे नवजीवन का संचार हो गया। वह खुशी से नाचने लगा क्यों कि वहां कोई खाई नही थी। वह ठोस जमीन पर था। उसे लगा, वह तो बेकार ही सारी रात तड़पता रहा। थोड़ा होश संभालता और प्रयत्न करता तो खुद देख सकता था। ये जो कहानी है वह केवल किसी सूफी फकीर की ही नही बल्कि हम सबकी है। हम सब भी तो अपना सारा जीवन सतह से चिपके ही गुज़ार देते हैं। हम डरते हैं कि यदि हम इसे छोड़ देंगे तो खो जाएंगे। सच तो ये है कि सतह से चिपके रहने से हम अपने आप को खो देते हैं। सारी चिंता, परेशानियां सिर्फ सतह पर जीने के कारण पैदा होती है क्यों कि समस्या का समाधान तो गहराई में है। अपने भीतर उतरना, अपने अंदर झांकना सचमुच बड़े साहस का काम है। किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com


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