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कविता " ज़िन्दगी और मौत "

  • Writer: Kishori Raman
    Kishori Raman
  • Aug 15, 2022
  • 1 min read

ज़िन्दगी और मौत एक सिक्के के दो पहलू हैं दोनों ही इस सृष्टि की खूबसूरत ऋचाएँ है ज़िन्दगी बीत गयी इस पहेली को सुलझाने में पर आज तक भी इसे सुलझा नही पायें हैं ज़िन्दगी तो मौत के बिना अधूरी होती है दोनों जब मिलते हैं तभी ये पूरी होती है यहाँ किसी को शिकायत होती है मौत से तो किसी के लिए जीना मजबूरी होती है पहले कुछ दिनों तक अपनो की याद रुलाती है फिर नेम-प्लेट से नाम की स्याही उतर जाती है यही है ज़िन्दगी और यही है यहाँ का दस्तूर घर के किसी कोने में उनकी तस्वीर टंग जाती है सोंचा था,समय आनेदो,अपने कल को पुकारूँगा जिससे कभी जीत न सका उसे मैं ललकारूँगा कल सिकंदर को मैंने जब मिट्टी में दफन देखा तब समझ आया, यहाँ सब हारे है,मैं भी हारूँगा किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com




2 Comments


verma.vkv
verma.vkv
Aug 16, 2022

ज़िन्दगी की सच्चाई से रूबरू कराता यह कविता । भावनात्मक प्रस्तुति।

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sah47730
sah47730
Aug 16, 2022

भावनाओं के बहाव को गतिमान करती हुई कविता।

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