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दौड़

  • Writer: Kishori Raman
    Kishori Raman
  • Sep 3, 2021
  • 1 min read

Updated: Sep 19, 2021

जीवन मे हम सब दौड़ रहे हैं, क्यो ? इसका जबाब नही है हमारे पास । बस हम दूसरों की देखा देखी इस रेस में शामिल है। तो प्रस्तुत है मेरी छोटी सी कविता जिसका शीर्षक है.....



दौड़ हम भी शामिल हो गए इस अंधी दौड़ में घिसटता हुआ ही सही दौड़ तो रहा हूँ न ? हाँ, यह ठीक है कि मेरा कोई लक्ष्य नही है उस घोड़े की तरह जिसे जबरदस्ती दौड़ाया गया है। और वह इसलिए दौड़ रहा है कि वह जिंदा है कि वह घोड़ा है यानी ज़िन्दगी की नियति ही दौड़ना है। लेकिन क्यो ? लेकिन किसलिए ? कोई जबाब नहीं फिर भी दौड़ना है। किशोरी रमण

2 Comments


Unknown member
Oct 18, 2021

Very nice story....

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Ram Mehar Singla
Ram Mehar Singla
Sep 04, 2021

Raman g you are great. Really fantastic writer.

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