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  • Writer's pictureKishori Raman

जीवन मे प्रकृति एवं अनुशासन का महत्व।


आज की दुनिया मे ऐशो -आराम एवं सुख सुबिधा की तमाम चीजें मौजूद है, फिर भी इंसान खुश नही है, प्रसन्न नही है। लोग जब ये कहते हैं कि वे जी नही रहे हैं बल्कि जिन्दगी को ढो रहे हैं तो बड़ा अजीब लगता है। जब हम अपने समझ के स्तर को बढ़ाते है और गहराई से सोचते है तो पता चलता है कि आज भी हम जीवन में बहुत सारी चीजों से अनजान है और जी तो रहे है पर खुलकर और भरपूर जिन्दगी नही जी रहे हैं। हर दिन , सुबह होती है, दोपहर ,शाम और फिर रात होती है पर हम लोगों में से कितने लोग उगता हुआ सूरज या डूबता हुआ सूरज देख पाते हैं ? कितने लोग आकाश में बादलो को या तारों को देखते हैं ? कितने लोग अपने शरीर पर सूरज की धूप को महसूस कर पाते है ? यहाँ तो जब सूरज सर पे आ जाता है तब हम उठते हैं ।सुबह ,शाम ,रात और दोपहर कैसे बीतता है हमे पता ही नही चलता । फिर हम कहते है कि हमारे जीवन मे तनाव है और तनाव से मुक्ति का रास्ता खोजते हैं। दवा, दारू, ध्यान, भजन और योग सब आजमाते हैं। पर फिर भी प्रकृति से दूर रहते हैं। हमारा शरीर तो एक मशीन है और जिस तरह मशीन को चलाने के लिए कुछ नियम होते है उसी तरह शरीर को चलाने के लिये कुछ नियम है जिनसे हम ज्यादातर लोग अनजान हैं। वह नियम है अनुशासन। बहुत से लोग इस अनुशासन को नकारात्मक शब्द समझते हैं और कहते है कि इससे हमारी स्वतंत्रता एवं आजादी पर प्रभाव पड़ता है। जबकि यह बात सही नहीं है। असल मे हम अनुशासन को सही रूप में समझते ही नही है कि अनुशासन आखिर है क्या ? यह दुनिया, यह ब्रह्मांड अनुशासन से चलता है।अगर ब्रह्मांड स्वतंत्रता पाने के लिए अनुशासन छोड़ दे तो कोई प्राणी जिंदा बचेगा ही नही तो सवाल उठता है कि जब यह सम्पूर्ण ब्रह्मांड बिना अनुशासन के नही चल सकता तो छोटा सा शरीर बिना अनुशासन के कैसे चल सकता है ? तो हमारे अपने जीवन मे जो दुख है, बेवजह का तनाव है, परेशानियाँ है तो इसका मतलब है कि हम नहीं जान रहें हैं कि शरीर रूपी मशीन का उपयोग कैसे करें। हर समस्या का निदान ध्यान में नहीं बल्कि अनुशासन में है, क्योंकि बिना अनुशासन के तो हम ध्यान भी नही लगा सकते। एक दिन करेगें तो दूसरे दिन छोड़ देंगें क्योंकि अनुशासन का अभाव है। हाँ, अनुशासित होने का यह मतलब भी नही है कि हम अपना सारा ध्यान इसी पर केंद्रित कर दे। हममें से ज्यदातर लोग यही गल्ती करते है कि वे उन कामो को करने लगते हैं जो खुद व खुद होना चाहिए। अगर आप प्रयास करके जल्दी उठे भी तो उठने का फ़ायदा ही नहीं हुआ। मजा तो तब है जब आपकी आँखे ख़ुद खुल जाय। अगर आपने ज़बरदस्ती समय पर भोजन किया तो भोजन करने का क्या फायदा हुआ ? हमे शरीर को इस तरह बनाना है कि ये सब अपने आप बिना प्रयास के हो। अगर ब्यायाम और योग करेगें तो आपको अपने आप समय पर भूख लगेगी और ज़बरदस्ती खाना नहीं खाना पड़ेगा। इसी तरह से आप खुद को यानी अपने मन और शरीर को अच्छा भोजन देंगे तो समय पर नींद भी आएगी ,आप समय पर उठेंगें औऱ स्वस्थ रहेगें। अंत मे यही कहेगें कि प्रकृति के साथ रहे और अनुशासित जीवन जिये। आप हमेशा खुश औऱ स्वस्थ रहेगें। किशोरी रमण।




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