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  • Writer's pictureKishori Raman

" विकल्प तलाशना चाहिए "


जब सता का अहंकार लोकतंत्र से बड़ा होता है

तब  वह  इंसानियत के  खिलाफ़ खड़ा होता है

जनता  पाखंड में ही दुखों का  निदान ढूंढती है

और संविधान  कही  हासिए  पर पड़ा होता है


जब जब कलम पर बंदूक का पहरा होता है

तब तब न्याय तंत्र  गूंगा और  बहरा होता है

फिर  हक मांगने  वाले  लोग  जेल जाते है

और  प्रश्न पूछने वाले देश द्रोही कहलाते है


पहले धर्म और राजनीति का मेल होता है

फिर  हर  तरफ नफरत  का खेल होता है

मानवता होती है रोज ही यहां पर शर्मशार

तब झूठ के आगे सच्चाई भी फेल होता है


तब  सबको कोई विकल्प तलाशना चाहिए

एक जुट हो कर अपना हक मांगना चाहिए

हमारे संविधान ने जो हमेअधिकार दिया है

समय  की कसौटी पर उसे  जांचना चाहिए


किशोरी रमण


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