निर्दोष पशुओं की बलि पाप है।
- Kishori Raman
- Nov 18, 2021
- 3 min read

मगध के सबसे महान राजाओं में से एक राजा अजातशत्रु का राज्य बहुत अच्छा चल रहा था। किंतु समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता। ऐसा ही राजा अजातशत्रु के साथ भी हुआ। राजा कई मुश्किलों से गिर गए और वे उन मुश्किलों से बाहर नहीं निकल पा रहे थे। उन्होंने कई उपाय किए पर हर बार असफल ही रहे। उन्होंने इसके समाधान हेतु कई लोगों से विचार-विमर्श भी किया। उसी क्रम में एक तांत्रिक से भी उनकी बात हुई। जब राजा ने तांत्रिक को अपनी मुश्किलों के बारे में बताया तो तांत्रिक ने राजा की बातों को ध्यान से सुना। फिर उन्हें एक उपाय बताया। तांत्रिक ने राजा से कहा कि आपको पशु- बलि देनी पड़ेगी तभी आपकी समस्याओं का निदान होगा। पहले तो राजा सोच में पड़ गये। वह पशु बलि के खिलाफ थे लेकिन जब उनके पास कोई अन्य चारा नहीं था तो उन्होंने तांत्रिक की बात मान ली। उन्होंने तांत्रिक के कहने पर एक बड़ा अनुष्ठान किया। जिन पशुओं की बलि देनी थी उसे एक बड़े से मैदान में बांध दिया गया।
संयोग से उस समय महात्मा बुद्ध मगध राज्य की राजधानी राजगृह में पधारे हुए थे। वे उस स्थान से गुजर रहे थे जहाँ राजा ने अनुष्ठान के लिए पशुओं को इकट्ठा किया था। बुद्ध ने जब देखा कि निर्दोष पशुओं की बलि दी जाने वाली है तब वे राजा के पास पहुंचे और बोले। राजन, आप इन निर्दोष पशुओं को क्यों मारने जा रहे हैं? राजा बोला- महात्मा जी , मैं इन्हें मारने नहीं बल्कि राज्य के कल्याण के लिए इन की बलि देने जा रहा हू जिससे सारे राज्य का भला होगा।
महात्मा बुद्ध ने पूछा , क्या किसी निर्दोष जीव की बलि देने से भी किसी का भला हो सकता है ? थोड़ा रुक कर उन्होंने जमीन से एक तिनका उठाया और राजा को देते हुए बोले -जरा इसे तोड़कर दिखाएं। राजा ने तिनके के दो टुकड़े कर दिए। अब बुद्ध ने कहा, इस तिनके को दोबारा जोड़ दें। राजा बोले- महात्मा जी, आप यह कैसी बातें कर रहे हैं। इसे तो अब कोई भी दुबारा नही जोड़ सकता है। तब बुद्ध राजा को समझाते हुए बोले- राजन, जिस प्रकार तिनके के टुकड़े को आप वापस दोबारा नहीं जोड़ सकते हैं, ठीक उसी प्रकार जब आप इन पशुओं की बलि देंगे तो यह निर्दोष जीव आप के कारण मृत्यु को प्राप्त होंगे। इन्हें आप दोबारा जिंदा नहीं कर सकते, बल्कि इनके मरने के बाद आपको जीव हत्या का दोष लगेगा और आप की मुश्किलें कम होने के बजाय और भी बढ़ जाएगी। क्योंकि किसी भी निर्दोष जीव को मारकर कोई भी व्यक्ति खुशी प्राप्त नहीं कर सकता। आपकी समस्या का हल निर्दोष जीवो को मारने से कैसे हो सकता है? आप राजा हैं। आपको सोच विचार कर निर्णय लेना चाहिए। अगर सचमुच आप अपनी मुश्किलों का हल चाहते हैं तो दिमाग से काम लीजिए। मुश्किलें तो आती जाती हैं। यही जिंदगी का सच है। किसी निर्दोष जीव को मारने से समस्याएं समाप्त नहीं होगी बल्कि उनका हल आपको बुद्धि से ही निकालना होगा।
बुद्ध की बातें सुनकर अजातशत्रु उनके चरणों में गिर पड़े और अपनी भूल की क्षमा माँगने लगे। अजातशत्रु ने ऐलान कर दिया कि अब से उनके राज्य में किसी निर्दोष जीव की हत्या नहीं की जाएगी।
किशोरी रमण
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so nice.....
Aati Sundar...
महात्मा बुद्ध की सलाह कभी गलत हो ही नहीं सकती। धन्यवाद!
:-- मोहन"मधुर"